तोहफे नहीं भावनाओं का महत्व शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी शिक्षिका संगीता विनायका का मानना है कि आज के बच्चे सेलिब्रेशन पर ज्यादा ध्यान देते हैं, उनके लिए शिक्षक दिवस एक कार्यक्रम की तरह है। फिर भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आज भी विद्यार्थियों के मन में अपने शिक्षक के प्रति सम्मान है। यदि शिक्षक अपने विद्यार्थियों से दिल से जुड़े हों तो बदले में उन्हें अपने विद्यार्थियों से भी बेहद प्यार और सम्मान मिलता है।
शिक्षक शब्द से जुड़ी गरिमा को पहचानें
तेईस वर्षों से शिक्षण कार्य से जुड़ी हेमा दीक्षित का मानना है कि छात्र, शिक्षक का सम्मान करते हैं या नहीं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि शिक्षक के साथ किसी छात्र का अनुभव कैसा है? यदि शिक्षक छात्रों के मनोभावों का समझें और उनके स्तर पर जाकर उन्हें कुछ सिखाने या समझाने की कोशिश करे तो उसे भी अपने विद्यार्थियों से बहुत इज्जत और प्यार मिलता है। दूसरी ओर शिक्षकों को भी चाहिए कि वे ‘शिक्षक’ शब्द के साथ जुड़ी गरिमा और उत्तरदायित्व को समझें और छात्र को केवल पाठ ना पढ़ाए, उसे जीने का सलीका िसखाएँ।