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समर्पण और मेहनत ही गुरुमंत्र है

शिक्षिका पौनम्मा मैथ्यू

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हम अपना कार्य तो हमेशा ही बेहतरी से करने का प्रयास करते हैं, बावजूद इसके और भी अनेक लोग ऐसे हैं जिनके लिए हम कार्य कर सकते हैं। मेरे विचार से आदर्श शिक्षक और आदर्श विद्यार्थी दोनों में कुछ गुणों का होना जरूरी है।

नॉलेज के साथ स्किल्स भी
शिक्षा प्रणाली में समय के साथ निश्चित रूप से बदलाव हुआ है। आज अभिभावकों के साथ ही विद्यार्थी भी अपने करियर को लेकर खासे जागरूक हुए हैं। मगर सभी तक यह संदेश पहुँचाना जरूरी है कि करियर के लिए ज्ञान के साथ ही स्किल्स भी आवश्यक है।

अपेक्षाओं का बोझ
आजकल का विद्यार्थी हर चीज जल्दी पाना चाहता है। समर्पण और मेहनत की भावना उसमें कम हुई है। इसके लिए कुछ हद तक अभिभावक भी जिम्मेदार हैं। क्योंकि उन्होंने अपनी अपेक्षाओं का बोझ विद्यार्थियों पर लाद दिया है। ऐसा नहीं होना चाहिए।

सजा के बजाए तरीके पर गौर
अपने शिक्षण कार्य में हमेशा इस बात का ध्यान रखा है कि यह बात यदि मैं अपने बच्चों को सिखाती तो कैसे सिखाती। इसलिए मैंने बजाए विद्यार्थियों को सजा देने के हमेशा यह प्रयास किया कि किस तरह कोई बात उनको समझा सकती हूँ। इसलिए पहले मैंने उस बात का अनुसरण किया, बाद में विद्यार्थियों से कहा।

समय के साथ अपडेट रहें
शिक्षण कोई तकनीक नहीं है। यह एक सतत प्रक्रिया है। इसमें निरंतर बदलाव करते हुए आपको अपनी बात विद्यार्थियों तक पहुँचानी होती है। बेहतर शिक्षण के लिए आवश्यक है कि आप अपडेट रहते हुए अपने शिक्षण में बदलाव करते रहें। ये आपके और विद्यार्थियों के लिए सुविधाजनक होगा।

मेहनत और समर्पण को अपनाएँ
विद्यार्थियों के लिए यही कहूँगी कि सफलता के लिए समर्पण और मेहनत ही विकल्प है। इसलिए इससे न कतराते हुए अपने कार्य में आगे ब़ढ़ें। सफलता देर से सही मगर मिलेगी जरूर। बिना मेहनत के सफलता नहीं मिल सकती। साथ ही विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ ही संस्कारों और सभ्यता का ज्ञान भी दिया जाए।

सांदीपनि विशिष्ट गुरुजन सम्मान से सम्मानित शिक्षिका

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