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एक थी रानी एक है राजा

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अनहद

एकता कपूर ने अपने भाई तुषार कपूर की हरसंभव मदद की है। उनके लिए फिल्में भी बनाईं, उन्हें दूसरी फिल्मों में काम भी दिलाया। अपने धारावाहिकों में भी उन्होंने तुषार की फिल्मों का प्रकारांतर से प्रचार किया। एक बहन एकता हैं और दूसरी रानी मुखर्जी। रानी मुखर्जी ने सफलता के शिखर पर रहकर भी अपने भाई राजा मुखर्जी के लिए कुछ किया हो, इसका सबूत नहीं मिलता। मनीषा कोइराला ने जरूर अपने भाई के लिए फिल्म का इंतजाम किया। फिल्म नहीं चली यह दूसरी बात है।

रानी मुखर्जी के भाई राजा मुखर्जी फिल्मों में नहीं धारावाहिकों में हैं और डायरेक्टर हैं। उनके द्वारा निर्देशित धारावाहिक "किसी की नजर न लगे" डीडी नेशनल पर आता है। इसके करीब दो सौ एपिसोड दिखाए जा चुके हैं। इस धारावाहिक की शूटिंग गोरेगाँव स्थित फ्यूचर स्टूडियो में होती है।

जाहिर है, शहरों में जहाँ केबल नेटवर्क और डीटीएच सेवाएँ हैं वहाँ इस तरह के धारावाहिक कोई नहीं देखता। सो कहानी यह है कि एक करोड़पति परिवार है, जिसके मुखिया की हत्या हो चुकी है। जायदाद का झगड़ा चल रहा है। परिवार की बहू वंशिका (कशिश) के नाम जायदाद है। इस जायदाद पर सबकी नजर है। साक्षात इस सीरियल की शूटिंग देखने पर पाया कि फिल्म और टीवी जगत में भी कैसे-कैसे प्रतिभाहीन लोग पड़े हैं। खुद राजा मुखर्जी अति साधारण से नजर आए। परिवार के मुखिया की बरसी वाले सीन को शूट किया जा रहा था, जिसमें यज्ञ चल रहा है। राजा ने इस सीन को इतना लंबा फिल्माया कि दो सौ बार उसमें शब्द "स्वाहा" आया।

फिर बीच यज्ञ में एक निहायत फिल्मी इंस्पेक्टर आया जो नफीस उर्दू बोल रहा था। उसके साथ एक मुलजिम भी सेट पर आया और यूँ आया जैसे उसे पुरस्कार दिया जा रहा हो। राजा ने बिना कट के सीन ओके कर दिया। ठीक है कि राजा में प्रतिभा नहीं है, पर रानी उनके सीरियल में एक-दो दफा आ जातीं तो क्या यह सीरियल चर्चित नहीं हो जाता? संभव है रानी को अपनी सितारा इमेज का ख्याल रहा हो कि धारावाहिक में, वह भी दूरदर्शन के धारावाहिक में जाने पर लोग क्या कहेंगे। बहरहाल, राजा अभी जूझ रहे हैं और रानी शिखर को छूकर उतर भी रही हैं।

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