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कृष्णाबेन से मिली इंदिरा को प्रेरणा

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समय ताम्रकर

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सोनी टीवी पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक ‘कृष्णाबेन खाखरावाला’ में लीड रोल निभा रही इंदिरा कृष्णन के अभिनय को देख कोई यह नहीं कह सकता है कि वे गुजराती नहीं बल्कि दक्षिण भारतीय हैं। इस धारावाहिक के पहले इंदिरा गुजराती को छोड़ सात भाषाएँ जानती थीं, लेकिन अब वे धीरे-धीरे गुजराती में भी दक्ष हो रही हैं। इंदिरा बताती हैं ‘जब मुझे इस धारावाहिक का प्रस्ताव मिला था, तो सभी की जुबाँ पर एक ही प्रश्न था कि कैसे मैं एक गुजराती महिला का किरदार निभा पाऊँगी, लेकिन मैंने चैलेंज कबूल किया और यह कर दिखाया। इसके लिए मैं धारावाहिक की पूरी टीम को श्रेय दूँगी। मैं यहाँ बताना चाहूँगी कि शूटिंग आरंभ होने के डेढ़ महीने पहले हम सभी ने मेरे लुक पर बहुत मेहनत की। क्या पहनूँगी, कैसा उच्चारण होगा, इसको लेकर बहुत सारे प्रयोग हुए।‘

धैर्यवान हो गई हूँ
धारावाहिक में कृष्णा बेन को विधवा बताया गया है, लेकिन इसके बावजूद वह बिंदी लगाती है। इस बारे में इंदिरा कहती है ‘अब समय बदल रहा है। रियल लाइफ में भी विधवा महिलाएँ इस तरह रहने लगी हैं कि कोई उन्हें देख कह नहीं सकता है कि वे विधवा हैं। कृष्णा इसलिए बिंदी लगाती है ‍क्योंकि उसके बच्चे ऐसा चाहते हैं। मुझे कृष्णाबेन का किरदार निभाते-निभाते उसकी कई बातें पसंद आई हैं। मैं उससे प्रेरणा लेने लगी हूँ। कृष्णा की एक खासियत है कि वह कभी गुस्सा नहीं करती । धैर्य के साथ समस्या का समाधान ढूँढती है। जबकि दूसरी ओर मैं जरा-जरा-सी बातों में परेशान हो जाती थी। आपा खो बैठती थी। लेकिन अब मैंने गुस्से पर काबू करना शुरू कर दिया है। लोगों से किस तरह बातें की जानी चाहिए, ये भी मैंने सीखा है। कृष्णा बेन की तरह रियल लाइफ में भी मैं कुछ करना चाहती हूँ और एक एनजीओ खोलने की दिशा में मैंने कदम बढ़ाए हैं।

अनुराग देते हैं सुझाव
इंदिरा को पहला मौका प्रसिद्ध निर्देशक अनुराग बसु ने धारावाहिक ‘मंजिल अपनी-अपनी’ में दिया था। इसके बाद उन्होंने कुछ और टीवी सीरियल किए। तेरे नाम और तथास्तु जैसी फिल्में भी की। इंदिरा बताती हैं ‘अनुराग से अभी भी मैं संपर्क में हूँ। मेरी एक्टिंग को लेकर वे मुझे अक्सर सुझाव देते हैं।‘

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