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रियलिटी शो में ओछापन होता है : शाहबाज खान

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हमें फॉलो करें शाहबाज खान

समय ताम्रकर

फिल्म और टीवी की दुनिया में शाहबाज खान एक परिचित नाम है। हाल ही में शाहबाज का एक धारावाहिक शुरू हुआ है और जल्दी ही वे जी टीवी के नए धारावाहिक ‘अफसर बिटिया’ में नजर आएंगे। पेश है शाहबाज से बातचीत :

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इन दिनों आप छोटे या बड़े परदे पर कम क्यों नजर आ रहे हैं?
मैं तब तक काम करना पसंद नहीं करता जब तक कि मुझे कहानी या किरदार पसंद नहीं आए। मुझे ऑफर्स तो बहुत मिले, लेकिन उनमें दम नहीं था। मैंने जी टीवी का नया शो ‘अफसर बिटिया’ में काम करना इसलिए मंजूर किया क्योंकि उसकी कहानी मुझे अच्छी लगी। इस शो के जरिये लोगों के बीच अच्छा संदेश जाएगा और यह बात मुझे पसंद आई।

क्या इसमें भी आपका नकारात्मक किरदार है?
नकारात्मक तो है, लेकिन यह ऐसा किरदार है जिसे लोग प्यार भी करेंगे। यह किरदार चुनौती भरा और वास्तविकता के नजदीक है।

क्या आपको नहीं लगता कि निगेटिव भूमिकाएं कर आप टाइप्ड हो गए हैं?
मैं खुद चाहता हूं कि अलग-अलग रोल निभाऊं, लेकिन आपकी एक छवि बन जाती है। कास्टिंग डायरेक्टर भी रोल देते वक्त यही सोचता है कि शाहबाज का डीलडौल अच्छा है। नकारात्मक भूमिका अच्छे से करेगा। मैं तो कॉमेडी करना चाहता हूं, लेकिन कोई हास्य रोल नहीं देता है। मेरी एक फिल्म आने वाली है जिसमें मेरा इमोशनल रोल है। उसे देख लोग हैरान हो जाएंगे कि शाहबाज ने ऐसा रोल किया है। ‘एजेंट विनोद’ में भी मैं एक अफगान कर्नल के रोल में हूं।

आप महान गायक अमीर खान के बेटे हैं, आपने संगीत क्यों नहीं चुना?
जब मेरे पिता का इंतकाल हुआ उस वक्त मैं बहुत छोटा था। मेरी मां का कहना था कि यदि मैं संगीत की दुनिया में जाऊंगा तो बड़ा होने पर हमेशा मेरी तुलना पिता से की जाएगी जो मेरे लिए रूकावट साबित हो सकती है। अगर पिता से संगीत सीखता और वे साथ होते तो बात कुछ और होती। मैंने पढ़ाई पर ध्यान दिया और सीए की तैयारी में जुट गया। उस दौरान एक्टिंग स्कूल में अपने दोस्त का एडेमिशन करवाने गया तो मुझे उस स्कूल के टीचर ने कहा कि तुम एक्टर क्यों नहीं बन जाते। बात जम गई और मैं अभिनय की दुनिया में आ गया। एक्टिंग में मैंने कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है। दिलीप कुमार, नसीरुद्दीन शाह, अमिताभ बच्चन जैसे अभिनेताओं की फिल्में देख मैंने अभिनय सीखा।

छोटे परदे पर आप लंबे समय से हैं। क्या बदलाव पाते हैं?
जमीन-आसमान का फर्क आया है। पहले शेर दिल निर्माता थे। किसी किस्म का समझौता नहीं करते थे। चैनल कम थे, लेकिन स्तरीय कार्यक्रम बनते थे। मुझे आज भी टीपू सुल्तान में किए गए अभिनय के लिए याद किया जाता है। मेहनत अब भी होती है, लेकिन समझौते और दबाव बहुत बढ़ गए हैं।

रियलिटी शो का ऑफर आया तो क्या आप स्वीकार करेंगे?
मैं प्राइवेट पर्सन हूं। इस तरह के शो से इत्तफाक नहीं रखता। वैसे भी रियलिटी शो में बहुत ओछापन होता है।

कोई ड्रीम रोल?
मैं चाहता हूं कि मेरे वालिद साहब पर फिल्म बने और मैं उनका रोल अदा करूं।

क्या निर्देशन में जाने का इरादा है?
टीवी धारावाहिक के बजाय फिल्म निर्देशित करना पसंद करूंगा।

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