जासूसी धारावाहिक का छोटे परदे पर बेहतर करने का बहुत अच्छा स्कोप है, लेकिन करमचंद, तहकीकात, व्योमकेश बक्षी जैसे कुछ ही जासूसी धारावाहिक याद रहते हैं। कुछ और प्रयास भी हुए हैं, लेकिन बात नहीं बन पाई। जासूसी कहानी के बूते पर दर्शकों को साधना बहुत कठिन है। दर्शक गलती पकड़ने के लिए बैठे रहते हैं। जरा सी चूक हुई और गई भैंस पानी में।
इन दिनों देव नामक नया शो शुरू हुआ है जिसमें देव नामक जासूस के किरदार को आशीष चौधरी निभा रहे हैं। इसके दो एपिसोड प्रसारित हो चुके हैं जिसमें एक कहानी को दिखाया गया है। दो एपिसोड मिलाकर लगभग सौ मिनट में एक कहानी को दर्शाया गया है और इतना वक्त पर्याप्त होता है।
पहले एपिसोड में शानदार कहानी चुनी जाती है, लेकिन 'देव' के पहले एपिसोड की कहानी लचर थी। बताया जा रहा है कि सच्ची घटनाओं से ये प्रेरित है। एक बच्ची के अपहरण करने वाले का पता देव अपनी जासूसी ज्ञान के जरिये लगाता है।
कहानी और निर्देशन के मामले में यह शो प्रभावित नहीं कर पाया। देव को होशियार दिखाने के लिए निर्देशक ने कई सीन गढ़े, लेकिन बात नहीं बन पाई। ऐसा लगा कि देव को होशियार दिखाने के लिए जोर-जबरदस्ती की जा रही है। अपहरणकर्ता का पता लगाने में कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि देव ने कुछ विशेष किया हो। बार-बार उस इंसान पर फोकस किया जा रहा था मानो उसने अपहरण किया हो। यह ट्रिक पुरानी हो चुकी है और दर्शक समझ जाते हैं कि जिस पर बार-बार संदेह व्यक्त किया जा रहा है वो अपराधी नहीं है।
साथ ही देव के अतीत के बारे में भी दिखाया गया है कि उसने अपनी पत्नी को मार डाला था। लगता है कि देव की अतीत की यह कहानी हर एपिसोड में लगातार चलती रहेगी। पुलिस और जासूस की नोक-झोक वाला ट्रेक भी चिर-परिचित है।
एपिसोड के शुरुआत में देव का एक स्टंट दिखाया गया जिसमें नकलीपन साफ नजर आ रहा था।
आशीष चौधरी फिल्मों में बिलकुल प्रभावित नहीं कर पाए, इसलिए बाहर हो गए। लंबे समय बाद उन्होंने छोटे परदे से वापसी की है। उनका अभिनय सुधरा हुआ जरूर लगा, लेकिन अभी उन्हें बहुत कुछ सीखना है।
अभी इस शो के बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन शुरुआत अप्रभावी रही है।