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नया शो 'कर्मफलदाता शनिदेव', बताएगा शनिदेव की कहानी...

हमें फॉलो करें नया शो 'कर्मफलदाता शनिदेव', बताएगा शनिदेव की कहानी...
रूना आशीष

मुंबई से करीब 200 किलोमीटर दूर 25,000 स्क्वैयर फीट और 65,000 स्क्वैयर फीट में बने भव्य और खूबसूरत सेट को देखकर लगता है कि 'कर्मफलदाता शनिदेव' नाम के इस शो में दर्शकों को देखने लायक कई सीन्स होने वाले हैं, चाहे वे रंग-बिरंगे बड़े ही आकर्षक फूल हों या 20 फुट से गिरते झरने हों या बेलों और लताओँ की जाल में बंधा शनि का झूला। शो के कलाकारों के रहने लिए खास इंतजाम किए गए हैं। वे सेट के पास ही एक बेहतरीन फ्लैट में रहने वाले हैं ताकि कलाकारों का ध्यान सिर्फ काम पर ही हो और मुंबई से आने-जाने में समय न व्यर्थ करें।
वैसे इस शो में कई कलाकारों की दूसरी पारी का आगाज है मसलन कुछ सालों तक अपनी पर्सनल लाइफ में बिजी रहने के बाद जूही परमार अब इस शो में संज्ञा और छाया इन दोहरे किरदार में नजर आने वाली हैं। जूही ने हमारी संवाददाता रुना आशीष ने बात की।
 
जूही का कहना था कि सीरियल के निर्माता सिद्धार्थ तिवारी मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं। हम कई सालों से एक-दूसरे से परिचित हैं तो उन्होंने मुझे ये रोल ऑफर किया तो तब लगा कि मैं अब मुझे इस दुनिया में लौट आना चाहिए और मैंने फट से हां कर दिया। ये रोल बहुत ही अच्छा है।
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इसी लिस्ट में दूसरा नाम आता है शनि बने एक्टर कार्तिकेय का। कार्तिकेय मध्यप्रदेश के इटारसी इलाके से हैं और कक्षा 8 के छात्र हैं। अपनी मां के साथ मुंबई में काफी समय से हैं। इन छोटे उस्ताद को आप 'इंडियाज बेस्ट ड्रामेबाज' में देख चुके हैं। उस मंच पर भी ये कई धार्मिक रोल निभा चुके हैं। 
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उनका कहना है कि मैंने 'इंडियाज बेस्ट ड्रामेबाज' में कई बार मायथो कैरेक्टर किए हैं तो जज साजिद खान सर ने मुझे 'मायथो किंग' का नाम दे दिया था। इस वजह से मुझे भाषा को बोलने और समझने में कोई दिक्कत नहीं पेश आई। लेकिन ये रोल बहुत अलग ही है। शनि अंदर से बहुत स्ट्रॉन्ग हैं। इतनी परेशानी वाला रोल था कि वे रोते थे लेकिन अपने आंसू किसी को नहीं दिखा सकते थे।
 
'वेबदुनिया' ने उनसे पूछा कि पढ़ाई और शूट कैसे करोगे? खासकर जब तुम तो मुंबई के भी नहीं? उन्होंने कहा कि वैसे मेरा पढ़ाई में फेवरेट सब्जेक्ट तो विज्ञान है लेकिन इतिहास ने मुझे ऐसे रोल निभाने में बहुत मदद की। सेट पर हमेशा एक ट्यूटर होता है, जो हम सभी बच्चों की पढ़ाई कराता है। जब भई सेट पर फ्री हो तो हम हमारा कोर्स पूरा कर रहे होते हैं और मेरे स्कूल वाले भी मेरी मदद कर रहे हैं। जब मेरी पढ़ाई पूरी हो जाएगी तो मैं परीक्षा में बैठ सकूंगा।
 
इस शो के साथ गूफी पेंटल भी एक बार फिर से धार्मिक शो में दिखाई देने वाले हैं। आपको याद दिलाने की जरूरत नहीं है कि गूफी पेंटल बीआर चोपड़ा की 'महाभारत' में शकुनि मामा के रूप में एक कभी न भूलाया जा सकने वाला रोल कर चुके हैं। 
 
गूफी का कहना है कि जब भी मैं शकुनि मामा या भानजे को भुलाना भी चाहूं तो लोग नहीं भूलने देते ना। इस शो में मैं विश्वकर्मा का रोल निभा रहा हूं। शनि मेरी बेटी संज्ञा का बेटा है तो वो मेरा नाती हुआ। वो बहुत ही जीनियस देवता माना जाता है। वो देवताओँ के लिए महल और रहने की जगह बनाता था। उनके आभूषणों का इस्तेमाल करता था। वो एक तरह से कभी लोगों की प्रॉब्लम को सुलझाता था। 
 
गूफी ने कहा कि कई सालों पहले जब मैंने शो किया था तो उस समय और इस समय में मुझे बहुत सारे अंतर दिखे। मुझे ऐसा लगता है कि हम लोगों को अपने रोल पर काम करने के लिए बहुत सारा समय मिलता था। अब शोज डेली होने की वजह से ऐसा नहीं हो पाता और दूसरा लेखन में और रिसर्च करना चाहिए। हम बहुत सरल भाषा का इस्तेमाल करते थे। बहुत सारी रिसर्च हुआ करती थी एक-एक किरदार के पीछे। उस पर इन दिनों ध्यान देना चाहिए।
 
शो में सूर्य के किरदार में सलिल अंकोला भी नजर आने वाले हैं जिनके लिए ये पहला धार्मिक शो होगा। सलिल का कहना है कि वे खुद शनि के भक्त हैं लेकिन शनि की कई कहानियां मुझे खुद को भी नहीं मालूम थीं। लोग शनि के नाम से बहुत डरते हैं लेकिन ये शो लोगों को बताएगा यह सिर्फ गलत धारणा है।
 
शो का निर्माण कर रहे हैं सिद्धार्थ कुमार तिवारी, जो इसके पहले महाभारत और सूर्यपुत्र कर्ण नाम के धार्मिक शोज बना चुके हैं। सिद्धार्थ कुमार तिवारी का कहना है कि ये शो सिर्फ धार्मिक शो नहीं है, बल्कि ये एक नई ही कहानी है। महाभारत की तरह नहीं है कि कहानी हस्तिनापुर की हो। ये सूर्यलोक की कहानी है, बल्कि ये एक फैंटेसी है, एक मिलन है, फिक्शन और फैंटेसी का मिलन है। 
 
उन्होंने कहा कि शनि के बारे में कुछ जानकारियां हैं और उस पर शो बनाया है। इसके पहले भी एक शो शनि पर आया था, मैंने भी वो शो एक-दो बार देखा लेकिन वो शनि की कहानियां बताने वाला शो था। मेरा वो टेक नहीं था, मैंने शनि के बचपन को दिखाया है। मुझे लगा कि लोगों को शनि का बचपन जानना चाहिए। दोनों शोज में कोई समानता नहीं होगी।
 
टीआरपी के ऊंट ने हमेशा धार्मिक शोज की करवट की बैठक लगाई है। शोज को पॉपुलरिटी भी काफी मिली है। इस वजह से इस शो को देखने की इच्छा अच्छी-खासी होगी, ये कह सकते हैं। अब शो किस तरह से लोगों और उनकी उम्मीदों पर बना रहता है, ये शो देखकर ही तय करना होगा।

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