ये सभी महिलाएँ अलग-अलग पृष्ठभूमि से आई हुई हैं। सभी की समस्याएँ अलग-अलग है। ये महिलाएँ आपस में अच्छी दोस्त हैं और एक-दूसरे की चिंता करती हैं। इन महिलाओं की समस्याएँ एक आम महिला की तरह है। किसी को पति ने घर से निकाल दिया है तो किसी को बेटे ने। कुछ अनाथ हैं। बावजूद इसके इन सभी औरतों के दिलों में हर तरह की कठिनाइयों से जूझकर जीतने का जज्बा है। युवा महिलाएँ अपने से बड़ों से सीखती हैं कि क्या सही और क्या गलत है। बदले में उन्हें बड़ों का प्यार मिलता है। आम परिवारों की तरह उम्मीद भवन की महिलाएँ भी हर दिन अपने अस्तित्व को बरकरार रखने की समस्याओं से जूझती हैं। वे साथ त्योहार मनाती हैं, एक-दूसरे को चिढ़ाती हैं और मौज-मस्ती से रहती हैं। वे खाद्य पदार्थों को बेचकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी हैं। जेडी मजिठिया का कहना है ‘उम्मीद भवन में रहने वाली महिलाएँ अपने दर्दनाक अतीत को भूलाकर नई जिंदगी शुरू करने के लिए यहाँ आती हैं। सभी का जिंदगी के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण है। इस धारावाहिक में हमने इन्हीं महिलाओं के जीवन को नाटकीय घटनाक्रमों, उनके अनुभवों, उनके संघर्षों और जीरो से हीरो बनने की दास्तान को पिरोया है। इसमें जीवन का हर रंग नजर आएगा। इसमें जीवन की कठिनाइयों से लड़कर कामयाबी हासिल करने वाली साहसी महिलाओं की कहानियाँ पेश की गई हैं।‘
धारावाहिक का प्रसारण शुरू हो चुका है और आरंभिक कडि़यों को दर्शकों ने बेहद पसंद किया है। धारावाहिक से जुड़े लोगों का मानना है कि इसकी लोकप्रियता आने वाले दिनों में और बढ़ने की उम्मीद है।