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ये रिश्ता क्या कहलाता है के किरदार

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हमें फॉलो करें ये रिश्ता क्या कहलाता है
स्टार प्लस पर नया धारावाहिक ‘यह रिश्ता क्या कहलाता है’ 12 से शुरू होने जा रहा है। इसे प्रत्येक सोमवार से शुक्रवार रात्रि 9.30 पर देखा जा सकता है। आइए जाने प्रमुख कलाकारों और उनकी भूमिकाओं के बारे में :

हिना खान : अक्षरा (उम्र-19) की भूमिका में
अक्षरा एक सरल तथा मधुर स्वभाव की लड़की है, जो एक परंपरागत मारवाड़ी परिवार में पली-बढ़ी है। वह अपने परिवार की तीन पीढ़ियों में एक मात्र पुत्री है इसलिए सभी की दुलारी है। इसके बावजूद परिवार के नियम और कानून उसके लिए भी वही हैं जो अन्य सदस्यों के लिए हैं। वह अपनी सीमाएँ जानती है तथा कभी भी नियमों का उल्लंघन नहीं करती। वह एक चुलबुली लड़की नहीं है, लेकिन उसका स्वभाव जिंदादिल है, जो उसके अभिव्यक्तिपूर्ण नयनों में झलकता है और जीवन को सकारात्मक नजरिये से स्वीकार करना उसकी इस अभिव्यक्ति का प्रमाण है।

विनीता मलिक : दादी (उम्र 65 से अधिक) की भूमिका में
माहेश्वरी कुल की माँ दादीजी हैं, जो निर्विवाद रूप से अपने पति की मृत्यु के उपरांत घर में अपनी वरिष्ठता स्थापित कर चुकी हैं। वह इस बात को प्रदर्शित करती हैं कि यदि उसके पुत्र उनका सम्मान करते हैं तथा उन्हें महत्व देते हैं तो उन्हें अपने पुत्रों के निर्णयों पर कोई आपत्ति नहीं है। वह राजश्री को घर की प्रमुख महिला के रूप में मान्यता देती हैं तथा आवश्यकता पड़ने पर ही निर्देश देती हैं।

पिछले तमाम वर्षों में उन्होंने अपना मनोविनोदपूर्ण आचरण विकसित किया है तथा भिन्न नजरिये से चीजों का आँकलन करने की दृष्टि विकसित की है। वह अपनी प्रपौत्री से बेहद लगाव रखती हैं तथा उसके साथ रह कर सुख की अनुभूति करती हैं। अक्षरा अपनी दादी के अंदर अपने प्रति निश्छल प्रेम तथा दुलार को महसूस करती हैं। दादी माँ अक्षरा की पथ-प्रदर्शक तथा मित्र के समान हैं।

संजीव सेठ : विशम्भर नाथ, पिता (उम्र-45 से अधिक) की भूमिका में
माहेश्वरी परिवार का यह पितृसत्तात्मक व्यक्ति शक्तिसंपन्न तथा प्रभावशाली तरीके से परिवार का मार्ग निर्देशन करने में यकीन रखता है। वह प्रकृति से आस्तिक और घोर परंपरावादी है। विश्वम्भर नाथ अपने पुत्र शौर्य के प्रति कठोर, किंतु अपनी पुत्री अक्षरा के ‍प्रति नर्म है। यद्यपि वह अपनी पुत्री को बहुत मानता है और कभी भी तेज स्वर में बात नहीं करता, किंतु उसने यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है, कि लड़कियों तथा महिलाओं को समाज द्वारा बनाए गए कठोर नियमों की सीमाओं के बंधन में ही रहना चाहिए तथा इस संदर्भ में किसी भी प्रकार के अपवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

विश्वम्भर नाथ के प्रभुत्वकारी व्यक्तित्व के पीछे एक प्रेम विह्वल और भावुक व्यक्ति छिपा हुआ है। उसकी यह नर्मी एक ऐसे उत्तरदायित्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में उजागर होती है, जो परिवार का सबसे बड़ा पुत्र होने के बावजूद कभी गलत तथा स्वार्थपूर्ण कदम नहीं उठाता।

माता : लता सबरवाल राजश्री (उम्र-45) की भूमिका में
राजश्री परिवार की प्रमुख महिला है। परिवार की सबसे बड़ी बहू होने के नाते, वह अनेक जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर लेकर चलती है और परिवार को साथ लेकर चलना उसकी प्राथमिकता है। वह स्नेही होते हुए भी अपनी बेटी अक्षरा के प्रति सख्त रहती है तथा अपनी देवरानी के पुत्र अंशुमन को छेड़ती रहती है। राजश्री एक आकर्षक महिला है तथा उसकी सरलता उसे और अधिक आकर्षक बना देती है। वह बहुत जल्द क्रोधित हो जाती है तथा असाधारण सरलता से चिल्ला अथवा हँस भी सकती है। वह कभी भी तनाव महसूस नहीं करती। वह कभी भी सार्वजनिक तौर पर अपने पति का विरोध अथवा बहस नहीं करती तथा दैव ही पति की छवि को संबल प्रदान करती है।

मनु मलिक : ओंकार नाथ (उम्र-47) की भूमिका में
विश्वम्भर नाथ का छोटा भाई ओंकार नाथ एक अच्छा व्यक्ति है। घर के बच्चों द्वारा उसे दुलार से ओमी चाचा के नाम से पुकारा जाता है, उसका मानना है कि उसका जन्म एक मारवाड़ी परिवार में केवल इस लिए हुआ है, क्योंकि वह व्यवसाय में कोई कोताही नहीं बरतता। ओंकार नाथ के अंदर एक संवेदनशील हृदय है जिसे वह संजोकर रखता है तथा दूसरों के सामने अपनी आंतरिक नम्रता के सार्वजनिकरण से गुरेज करता है। वह इसे अपने बनावटी हास्य से छुपा ले जाता है।

केवल ओंकार नाथ की पत्नी ही उसकी संवेदनशीलता तथा जीवन को समझने की उसकी अनूठी दृष्टि को समझती है। हालाँकि वह भी उसे पूरी तरह से समझने में अक्षम ही रहती है, क्योंकि ओंकार नाथ अपने किसी भी पूर्वकल्पित ‍िचंतन को उजागर नहीं करता है, किंतु कर्मकांडों को नकारता है। ओंकार नाथ एक सौम्य व्यक्ति है, किंतु उसे समझना अत्यंत कठिन है। उसके परिवार ने उसे एक रहस्यमय व्यक्ति के रूप में स्वीकार कर लिया है।

नीलिमा ताडेपल्ली : सुनयना (उम्र-42) की भूमिका में
सुनयना ओंकारनाथ की एक मोहक तथा सामाजिक पत्नी है। एक स्नेही महिला के रूप में वह बेहतरीन समझ तथा संवेदनशीलता को प्रदर्शित करती है। उसे परिवार के सभी लोग प्यार करते हैं तथा वह कभी भी राजश्री के प्रभुत्व को चुनौती नहीं देती। हालाँकि उसने व्यावहारिक तौर पर अक्षरा के पालन-पोषण में महती भूमिका निभाई है, किंतु वह उसके ऊपर अपना अधिकार कभी भी नहीं जताती। रिश्ते-नातों की गहरी बारीकियों की समझ तथा अपने देखभालपूर्ण स्वभाव के कारण उसे सभी से सम्मान प्राप्त होता है।

यद्यपि वह महसूस करती है कि पति के साथ संबंध में कोई कमी है। हालाँ‍कि वे दोनों निश्चित तौर पर प्रसन्न है, किंतु सहजीवन में न्यूनता महसूस करते हैं। सुनयना चाची के होंठों पर खूबसूरत मुस्कान तथा आँखों में एक गहरी उदासी छुपी हुई है, जो इस चरित्र को असाधारण बनाती है।

पूजा जोशी : वर्षा (उम्र-19) की भूमिका में
वर्षा अक्षरा की सबसे अच्छी सहेली है तथा उसी के समान जिंदादिल तथा निर्दोष है। ये दोनों सहेलियाँ लड़कियों से संबंधित गोपनीय बातों, अपनी शिकायतों तथा तकलीफों की हमराज हैं - वह अक्षरा की सच्ची सोलमेट है। वर्षा एक इकलौती संतान है, जिसके पिता की मृत्यु बचपन में ही हो गई थी। वह अक्षरा से अधिक व्यावहारिक, आत्मविश्वासी तथा आत्मनिर्भर है, जिसे पिता के समतुल्य अथवा भाई के सुरक्षा कवच की जरूरत नहीं महसूस होती। वर्षा का अक्षरा के घर में नियमित तौर पर आना-जाना रहता है तथा वह अक्षरा के भाई शौर्य से प्रेम करने लगती है। इस रिश्ते की जानकारी किसी को भी नहीं होती। यह एक ऐसी गोपनीयता है जिसे वह अक्षरा को भी नहीं बताती।

अतहर हबीब शौर्य (अक्षरा का भाई) (उम्र-24) की भूमिका में
शौर्य अक्षरा का बड़ा भाई है तथा एक आकर्षक और बेहतर देहदृष्टि वाला आधुनिक नवयुवक है। वह अपनी छोटी बहन को लेकर अति सुरक्षात्मक है तथा अपने पिता के समान व्यवहार करता है। यद्यपि वह उग्रता में विश्वम्भर नाथ के समान है, किंतु अपरिपक्व है। महिलाओं के प्रति उसका विचार परंपरागत तथा रुढ़िवादी है, उसके अनुसार महिलाओं को सुरक्षा कवच के भीतर रहना चाहिए, ऐसी धारणा उसके पुरुषप्रधान परिवेश का प्रतिफल है। शौर्य का अक्षरा से जीवंत रिश्ता है, किंतु वे पारस्परिक तौर पर अपने जीवन की विस्तृत बातों में सहभागिता नहीं रखते हैं। वह इस छवि को प्रदर्शित करता है कि 'मैं तुम्हारा बड़ा भाई हूँ' और यहाँ तक कि वर्षा के साथ अपने रोमांस को भी उससे गोपनीय ही रखता है।

अमन शर्मा : अंशुमन (उम्र-12) की भूमिका में
अंशुमन घर का सबसे छोटा बालक है। वह एक अत्यंत मिलनसार बालक है, जो पढ़ाई-लिखाई से घृणा करता है तथा सही मायनों में भोजन भट्ट है, जिसके कारण वह ओवरवेट है और बहुत आरामतलब है। इस सबके बावजूद वह एक स्मार्ट बालक है तथा सभी अवसरों पर उसका एक वन लाइनर तैयार रहता है।

वह बेहद तनावपूर्ण स्थिति में भी लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने की कुव्वत रखता है तथा सभी का दुलारा तथा सिरचढ़ा है, खासकर राजश्री का।

जरीना रोशन अनवर खान : गोपी दादी (उम्र-62 से अधिक) की भूमिका में
गोपी दादीजी की सहेली तथा विश्वासपात्र हैं। वह दादीजी की शादी के समय एक दासी के रूप में आई थीं। जब उन की उम्र मात्र 12 वर्ष तथा दादी की 13 वर्ष की थी। उस समय से वह लगाता माहेश्वरी परिवार में रह रही हैं तथा दादी के लिए एक दासी से अधिक एक सहेली के समान हैं। गोपी दादी को अन्य नौकरों पर नियंत्रण रखने का अधिकार प्राप्त है। घर की बहुएँ उनका सम्मान करती हैं और एक बुजुर्ग के तौर पर आदर देती हैं। कभी-कभी आवश्यकता पड़ने पर वह घर की बहुओं तथा बच्चों की खबर भी लेती हैं।
(विश्वम्भर और ओंकार को छोड़कर)

बजिन्दर सिंह : भोला (उम्र-26) की भूमिका में
भोला एक अनाथ लड़का है, जिसे माहेश्वरी परिवार में लाया गया था। वह राजश्री को अपनी माँ के समान प्यार करता है तथा उसके लिए जान भी दे सकता है। भोला सशक्त मांसपेशियों वाला व्यक्ति है तथा पहलवानी करता है, वह अक्षरा की अपनी बहन के समान रक्षा करता है। वह एक अंगरक्षक के समान अक्षरा के साथ हमेशा बाहर जाता है। भोला एक अतिसंवेदनशील व्यक्ति है।

सुनीता राजवर : धनिया (उम्र-32 से अधिक) की भूमिका में
धनिया एक मजाकिया घरेलू चरित्र है। वह सुमधुर, दिलफरेब तथा चुगलखोरों की रानी है। वह भोला से प्रेम करती है तथा जब भी उस पर विजय प्राप्त करने की कोशिश करती है, वफल हो जाती है।

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