दशहरे का त्योहार निकट था। राजा कृष्णदेव राय के दरबारियों ने भी जब दशहरा मनाने की बात उठाई तो राजा कृष्णदेव राय बोले, ‘मेरी हार्दिक इच्छा है कि इस बार दशहरा खूब धूमधाम से मनाया जाए। मैं चाहता हूं कि इस अवसर पर सभी दरबारी, मंत्रीगण, सेनापति और पुरोहित अपनी-अपनी झांकियां सजाएं। जिसकी झांकी सबसे अच्छी होगी, हम उसे पुरस्कार देंगे।’
यह सुनकर सभी दूसरे दिन से ही झांकियां बनाने में जुट गए। सभी एक से एक बढ़कर झांकी बनाने की होड़ में लगे थे। झांकियां एक से बढ़कर एक थीं। राजा को सभी की झांकियां नजर आईं, मगर तेनालीराम की झांकी उन्हें कहीं दिखाई नहीं दी।
वे सोच में पड़ गए और फिर उन्होंने अपने दरबारियों से पूछा, ‘तेनालीराम कहीं नजर नहीं आ रहा है। उसकी झांकी भी दिखाई नहीं दे रही है। आखिर तेनालीराम है कहां?’