एक बार महाराज कृष्णदेव राय किसी बात पर तेनालीराम से नाराज हो गए। गुस्से में आकर उन्होंने तेनालीराम से भरी राजसभा में कह दिया कि कल से मुझे दरबार में अपना में अपना मुंह मत दिखाना। उसी समय तेनालीराम दरबार से चला गया।
दूसरे दिन जब महाराज राजसभा की ओर आ रहे थे तभी एक चुगलखोर ने उन्हें यह कहकर भड़का दिया कि तेनालीराम आपके आदेश के खिलाफ दरबार में उपस्थित है।