एक बार राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक महान विद्वान आया। उसने वहां दरबार में उपस्थित सभी विद्वानों को चुनौती दी कि पूरे विश्व में उसके समान कोई बुद्धिमान व विद्वान नहीं है।
उसने दरबार में उपस्थित सभी दरबारियों से कहा कि यदि उनमें से कोई चाहे तो उसके साथ किसी भी विषय पर वाद-विवाद कर सकता है, परंतु कोई भी दरबारी उससे वाद-विवाद करने का साहस न कर सका।