एक बार किसी वित्तीय समस्या में फंसकर तेनालीराम ने राजा कृष्णदेव राय से कुछ रुपए उधार लिए थे। समय बीतता गया और पैसे वापस करने का समय भी निकट आ गया, परंतु तेनाली के पास पैसे वापस लौटाने का कोई प्रबंध नहीं हो पाया था, सो उसने उधार चुकाने से बचने के लिए एक योजना बनाई।
एक दिन राजा को तेनालीराम की पत्नी की ओर से एक पत्र मिला। उस पत्र में लिखा था कि तेनालीराम बहुत बीमार हैं।
तेनालीराम कई दिनों से दरबार में भी नहीं आ रहा था इसलिए राजा ने सोचा कि स्वयं जाकर तेनाली से मिला जाए। साथ ही राजा को भी संदेह हुआ कि कहीं उधार से बचने के लिय तेनालीराम की कोई योजना तो नहीं है।