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कौन है इस आतंकवाद के पीछे

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देश में जब भी कोई बड़ी आतंकवादी वारदात होती है उसके पीछे छुपे चेहरों को तलाशने का काम शुरू हो जाता है। यही सब मुंबई में घटी ताजा आतंकी घटना के बाद भी शुरू हो गया है, लेकिन समय रहते उन सचाइयों को नजरअंदाज कर दिया जाता है जो इस तरह की कार्रवाइयों के पीछे होने की पुख्ता जानकारी देती हैं।

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बांग्लादेश का आतंकवादी संगठन हूजी-बी हो, लश्कर तोइबा हो, दाऊद इब्राहीम या उत्तरपूर्व में सक्रिय अन्य संगठन, जिनकी गतिविधियों के बारे में सबकुछ पता होते हुए भी उन पर परदा डाला जाता है।

माना कि दाऊद तक भारत की खुफिया एजेंसियों के हाथ नहीं पहुँच रहे पर आज देश का हर बच्चा जानता है और पहचानता है कि यह कौन दाऊद है। देश में करीब 1 करोड़ बांग्लादेशियों के होने के प्रमाण हैं, पर वोट की राजनीति के चलते कोई इन पर कोई ऊँगली क्यों नहीं उठा रहा?

घटना के पीछे दाऊद ही : इंटेलिजेंस ब्यूरो को मिली जानकारी के मुताबिक मुंबई की आतंकवादी घटना में दाऊद के ही गुर्गों का हाथ है। दाऊद के आदमियों ने ही उन आतंकवादियों के लिए नावों का इंतजाम किया था। पकड़े गए एक जीवित आतंकवादी अजम कासम के मुताबिक दाऊद का एक साथी मुंबई में कस्टम क्लियरिंग का काम करता है। साथ ही वह दाऊद के लिए डीजल की भी तस्करी करता है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक समुद्र के रास्ते मुंबई पहुँचे इन आतंकवादियों को इसी व्यक्ति ने कफ परेड और गेट वे ऑफ इंडिया तक पहुँचाने में मदद की थी। उसी ने इन्हें गोला-बारूद और हथियार भी मुहैया कराए थे। पुलिस इस शख्स को खोजने में लगी है।

लश्कर के साथ डी कंपनी : अपराध की दुनिया में भी कॉरपोरेट की तरह कंपनियों के भी मर्जर होने लगे हैं। पाकिस्तान का आतंकवादी संगठन ' लश्कर-ए-तोइबा' आजकल दाऊद इब्राहीम की 'डी कंपनी' के साथ है। इस दोस्ती में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।

दाऊद का मकसद धर्म के नाम पर भारत में लश्कर की आड़ में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देना है। हाल की कुछ गतिविधियों से लगता है कि वह अपने इस मकसद में कामयाब भी हुआ है। भारत के खुफिया अधिकारियों के मुताबिक पाकिस्तान में इस तरह का विलय देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है।

पता है दाऊद का पता : दाऊद इब्राहीम पाकिस्तान में है या नहीं, अब यह महज सवाल नहीं रह गया। भारत और अमेरिका समेत इस्लामी आतंकवाद से जूझ रहे दुनिया के हर देश को पता है कि दाऊद पाकिस्तान में ही रह रहा है। सीबीआई के पास इस बात के पुख्ता प्रमाण है कि कराची की किस पॉश कॉलोनी में दाऊद ने अपना ठिकाना बना रखा है, लेकिन पाकिस्तान सरकार इस मामले में न तो इंटरपोल की मदद कर रही है न भारत की।

ये रहा सबूत दाऊद का : इसी साल अगस्त में गिरफ्तार किए गए दाऊद के एक साथी करीमुल्ला खान ओसाम खान के मुताबिक भारत का मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहीम पाकिस्तान में रह रहा है। 1993 के बम धमाकों में वांटेड करीमुल्ला खान पर 5 लाख का इनाम था। इस पर 1993 के धमाकों में भारतीय समुद्री सीमा पर विस्फोटक पहुँचाने का आरोप है।

1993 के बाद वह भूमिगत हो गया था और जून 1996 में अवैध तरीके से मध्यपूर्व के देशों में चला गया था। वहाँ से करीमुल्ला खान कराची गया और दाऊद के साथ रहने लगा। फरवरी 2006 में वह काठमांडू चला गया और वहाँ से सड़क मार्ग से भारत आ गया और मुंबई में रहने लगा।

क्या करता है दाऊद : मुंबई के नजदीक रत्नागिरी में एक सामान्य से परिवार में 25 दिसंबर 1955 को जन्मा दाऊद एक छोटे से पुलिसकर्मी इब्राहीम कासकर का बेटा था। छोटे-छोटे अपराधों से अंडर वर्ल्ड की दुनिया में शामिल हुआ। सबसे पहले करीम लाला की गेंग में उसने कदम रखा और हफ्ता वसूली का काम करने लगा।

मुंबई का नागपाड़ा और डोंगरी उसके इलाके थे। बाद में उसने नशीले पदार्थों की तस्करी को अपना धंधा बनाया और अपनी अलग गैंग बना ली। 1993 के मुंबई बम धमाकों में संलिप्त होने संबंधी सबूत मिलने के बाद वह दुबई भाग गया, वहाँ से संयुक्त अरब अमीरात होते हुए उसने पाकिस्तान को अपना ठिकाना बना लिया, तब से वह वहीं है। नशीले पदार्थों की तस्करी के अलावा क्रिकेट मैचों की फिक्सिंग और क्रिकेट की सट्टेबाजी भी दाऊद के धंधों में शामिल है।

क्या चेहरा बदल लिया : दाऊद के बारे में कहा जाता है कि उसने अपना चेहरा और हुलिया सबकुछ बदल लिया है। कई सालों से उसका कोई ताजा फोटो भी भारत या इंटरनेशनल खुफिया एजेंसियों के पास उपलब्ध नहीं है।

शारजाह में हुए एक क्रिकेट मैच के दौरान किसी फोटोग्राफर द्वारा निकाला गया उसका फोटो सबसे ताजा फोटो माना जाता है। खुफिया एजेंसियों को शंका है कि उसने प्लास्टिक सर्जरी के जरिए अपना चेहरा बदल लिया है। इसमें कितनी सचाई है इस बारे में किसी खुफिया एजेंसी ने कोई दावा नहीं किया, पर पाक क्रिकेटर जावेद मियाँदाद के बेटे से अपनी बेटी की शादी के दौरान वह शादी में शरीक भी हुआ पर कोई पहचान नहीं सका और इंटरनेशनल खुफिया एजेंसियाँ हाथ मलती रह गईं।

दाऊद का हाथ : 28 अगस्त 2007 को हैदराबाद में हुए दो बम धमाकों में पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने दाऊद का हाथ होने की आशंका जाहिर की थी। इन धमाकों में 40 से अधिक लोगों की जान गई थी। पुलिस के विशेष जाँच दल ने चार लोगों से गहन पूछताछ की थी। इनमें दुबई में रहने वाला अलकाज ओबैद खासिम अली शामिल था जिसे बम धमाके से एक दिन पहले 2 करोड़ 60 लाख रुपए के जाली नोट बरामदगी मामले में गिरफ्तार किया गया था।

इसके अलावा तीन और लोग हैं जिनके बारे में कहा गया था कि ये दाऊद के करीबी हैं। सिर्फ यही नहीं भारत में पिछले 15 सालों में हुई हर आतंकवादी वारदात में दाऊद का हाथ होने का संदेह किया जाता रहा है। (नईदुनिया)


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