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कमसिनी का हुस्न था वो, ये जवानी की बहार

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कमसिनी का हुस्न था वो, ये जवानी की बहार
पहले भी रुख पर यही तिल था मगर क़ातिल न था
माजिद ( देवबंदी नहीं, वो तो इस्लामी शायर है)

कमसिनी - कम उम्र होना
रुख - चेहरा
अर्थ - कुल मिलाकर यह मेहबूब के चेहरे के तिल की तारीफ़ है। अनुप्रास अलंकार से यह शेर यादगार बन गया है - 'यही तिल था मगर क़ातिल न था ...।' अर्थ यह कि बचपन में भी चेहरे पर यही तिल हुआ करता था, पर तब ये तिल इतना मारक, इतना सुंदर न था। माजिद का ये शेर बहुत मशहूर है अलबत्ता माजिद खुद इतने मशहूर नहीं हैं। कभी उनका पूरा नाम पता चला तो आपको जरूर बताएँगे।

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