Ramcharitmanas

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

मुझी को नाज़ से देखा जला जो परवाना

Advertiesment
हमें फॉलो करें जला जो परवाना
मुझी को नाज़ से देखा जला जो परवाना
तुम एक बज़्म में मर्दुमशनास बैठे हो
यास यगाना चंगेज़ी

परवाना - पतंगा ...आज की पीढ़ी शायद नहीं जानती कि पहले जब बिजली नहीं होती थी तब शाम को मोमबत्ती या दिया जलाने पर बहुत सारे पतंगे आग से आकर्षित होकर आ जाते थे और आग से उनके पर जल जाया करते थे। कुछ तो मर भी जाते थे। सुबह जब घर की सफ़ाई होती तो बहुत सारे जले अधजले पतंगे निकलते। इन्हीं पतंगों को प्रतीक बना कर उर्दू में हज़ारों शेर कहे गए हैं। खूबसूरती को आग का दर्जा देते हुए शायर अपने आप को परवाना कहता है। शायद ही दुनिया कि किसी और भाषा की कविता में इतना अर्थपूर्ण काव्य प्रतीक मिले।

मर्दुमशनास -आदमी की परख रखने वाला, उसे पहचनाने वाला

अर्थ - जब मह़फिल में परवाना शमा से जल कर छटपटाने लगा तो तुमने मुझे नाज़ से देखा। तुम्हारे देखने में इशारा यह था कि परवाना मैं हूँ और तुम खुद शमा हो। वाकई इस मह़फिल में आदमी को ठीक से पहचानने वाले तुम्हीं एक हो। तुम्हीं को पता है कि परवाने और मुझमें कितना साम्य है?

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi