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हज़ारों खुशियाँ कम है

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, मंगलवार, 28 दिसंबर 2010 (13:08 IST)
हज़ारों खुशियाँ कम है, एक ग़म भुलाने के‍ लिए,
एक ग़म काफी है ज़िंदगी भर रूलाने के लिए।

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