सबकी उम्मीदें भारतीय टीम से थी, कांटे का मुकाबला चल रहा था लेकिन अंतिम क्वार्टर में सिलसिलेवार पेनल्टी कॉर्नर और अंतिम पेनल्टी स्ट्रोक ने भारत का ओलंपिक फाइनल में जाने का सपना चकना चूर कर दिया।
कुल 16 पेनल्टी स्ट्रोक बेल्जियम को मिले जिसमें से 3 लगातार चौथे क्वार्टर में मिला दो प्रयास विफल करने के बाद भारत के लिए एक और बुरी खबर आयी और अंपायर ने अपने कॉर्नर के फैसले को स्ट्रोक में तब्दील कर दिया। एलेक्सेंडर का गोल श्रीजेश रोक नहीं पाए और बेल्जियम 5-2 से आगे हो गया।
समय उतना था नहीं कि भारत 2 गोल की बढ़त को बराबर भी कर पाता क्योंकि बेल्जियम का डिफेंस बहुत सशक्त था। अब भारत 5 अगस्त को कांस्य पदक का मुकाबला खेलेगी।दूसरे सेमीफाइनल में जर्मनी बनाम ऑस्ट्रेलिया के मैच ही हारने वाली टीम से भारत का मुकाबला होगा और यह मैच भी आसान नहीं होने वाला है।
भारत ने अंतिम 3 मिनट में पैनिक बटन दबाया और श्रीजेश को बाहर बुलाकर एक फॉर्वर्ड का खिलाड़ी अंदर भेजा इसका फायदा तो कुछ हुआ नहीं बल्कि नुकसान अलग हो गया। अंतिम मिनट में बेल्जियम को आसान सा फील्ड गोल मिल गया। बेल्जियम लगातार दूसरी बार फाइनल में जगह बनाने में कामयाब रहा।
दूसरे मिनट में ही पिछड़ने के बाद भारत ने जबरदस्त वापसी की और पहले ही क्वार्टर में 2-1 से बढ़त बनाई। हालांकि दूसरे क्वार्टर में एक पेनल्टी कॉर्नर से बेल्जियम ने बराबरी की। पहले हाफ तक यह सेमीफाइनल बहुत ही कांटे का चल रहा था। दोनों ही टीमें सिर्फ गोल पर ही नहीं बॉल पजेशन सर्कल एंट्री में भी बराबरी पर थी। तीसरा क्वार्टर गोलरहित रहा और अंत में चौथा क्वार्टर पूरी तरह बेल्जियम के नाम रहा।
भारत की तरफ से हरमनप्रीत सिंह (सातवें) और मनदीप सिंह (आठवें मिनट) ने गोल किये जबकि बेल्जियम के लिये अलेक्सांद्र हेंड्रिक्स (19वें, 49वें और 53वें मिनट) ने तीन जबकि लोइक फैनी लयपर्ट (दूसरे मिनट) और जॉन जॉन डोहमेन (60वें मिनट) ने एक गोल किया।
भारत ने आखिरी बार मास्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था लेकिन वह म्यूनिख ओलंपिक 1972 के बाद पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचा था। मास्को ओलंपिक में मैच राउंड रोबिन आधार पर खेले गये थे।(वेबदुनिया डेस्क)