kokilaben ambani and dhirubhai ambani life story: धीरूभाई अंबानी का नाम सुनते ही एक सफल उद्यमी और दूरदर्शी नेता की तस्वीर सामने आती है, जिन्होंने अपनी मेहनत से एक साम्राज्य खड़ा किया। लेकिन इस महान शख्सियत के पीछे एक और महान व्यक्तित्व का हाथ था - उनकी पत्नी कोकिलाबेन अंबानी। कोकिलाबेन और धीरूभाई की कहानी सिर्फ एक सफल व्यापारी की कहानी नहीं, बल्कि एक साधारण दंपत्ति की असाधारण यात्रा है, जिसमें प्यार, विश्वास और समर्पण की गहरी छाप है। आइए, कोकिलाबेन अंबानी के जीवन से जुड़े कुछ अनसुने और रोचक किस्सों को जानते हैं।
जामनगर की सादगी से मुंबई की भव्यता तक
कोकिलाबेन का जन्म 24 फरवरी 1934 को जामनगर, गुजरात में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनकी परवरिश पारंपरिक गुजराती मूल्यों के साथ हुई। जब उनकी शादी धीरूभाई अंबानी से हुई, तो उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। एक ऐसी महिला जो अपने शहर की सीमाओं में सीमित थी, वह अपने पति के साथ मुंबई और फिर यमन जैसी जगहों पर गई, जो उनके लिए पूरी तरह से नई दुनिया थी।
यमन में हुई मुकेश अंबानी की पैदाइश
धीरूभाई अंबानी उस समय यमन के अदन में एक पेट्रोल पंप पर काम करते थे। यह वह दौर था जब धीरूभाई अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे। इसी दौरान, उनके बड़े बेटे मुकेश अंबानी का जन्म यमन में हुआ। कोकिलाबेन ने वहां की संस्कृति, रहन-सहन और जीवनशैली को देखा। धीरूभाई हर नई चीज को उन्हें बहुत अच्छे से समझाते थे, जिससे उनके बीच का रिश्ता और भी गहरा हुआ।
गुजराती से अंग्रेजी सीखने का सफर
कोकिलाबेन मूल रूप से गुजराती भाषी थीं। जब वह मुंबई आईं और धीरूभाई के साथ विदेश यात्राएं करने लगीं, तो उन्हें भाषा की बाधा महसूस हुई। उन्होंने अपनी इस कमी को दूर करने के लिए अपने बच्चों के साथ अंग्रेजी सीखी।
पहली कार की याद
कोकिलाबेन ने जामनगर में रहने के दौरान कभी कार नहीं देखी थी। ये बात धीरुभाई अच्छे से जानते थे। एक बार कोकिलाबेन चोरवाड़ से अदेन शहर जाने वाली थीं, तो उन्हें धीरूभाई अंबानी की चिट्ठी मिली, लिखा था 'कोकिला मैंने तुम्हारे लिए कार ली है। मैं तुम्हें लेने आ रहा हूं। बताओ गाड़ी का रंग क्या है? मैं बता दूं इट इज़ ब्लैक, जस्ट लाइक मी।' कोकिलाबेन बताती हैं कि धीरूबाई अंबानी का मजाक करने का अंदाज उन्हें बहुत पसंद था।
कोकिलाबेन से धीरूभाई से सीखा आधुनिक दृष्टिकोण
धीरूभाई अंबानी सिर्फ एक सफल व्यापारी ही नहीं, बल्कि एक आधुनिक सोच वाले पति भी थे। वे कोकिलाबेन को केवल घर तक सीमित नहीं रखते थे। वे उन्हें बड़े-बड़े फाइव-स्टार होटलों में लेकर जाते थे और उन्हें दुनिया भर के व्यंजनों से परिचित कराते थे। धीरूभाई उन्हें चीन, जापान, मेक्सिको और इटली जैसे देशों का खाना भी खिलाते थे, ताकि वे दुनिया को और बेहतर तरीके से समझ सकें।
रिलायंस की नींव में कोकिलाबेन का योगदान
रिलायंस इंडस्ट्रीज की सफलता में कोकिलाबेन का भी एक छोटा सा, लेकिन महत्वपूर्ण योगदान था। कहा जाता है कि जब धीरूभाई अपनी कंपनी के लिए नाम सोच रहे थे, तब कोकिलाबेन ने ही "रिलायंस" नाम का सुझाव दिया था, जिसका अर्थ है "भरोसा"। यह नाम उनकी व्यावसायिक यात्रा में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
कोकिलाबेन अंबानी का जीवन धीरूभाई के साथ एक सच्ची साझेदारी की मिसाल है। उन्होंने हमेशा अपने पति के फैसलों का समर्थन किया और हर मुश्किल में उनका साथ दिया। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि किसी भी बड़ी सफलता के पीछे एक मजबूत और समर्पित परिवार का हाथ होता है। आज भी, 91 साल की उम्र में, वह अंबानी परिवार की स्तंभ हैं और अपनी सादगी और धार्मिकता के लिए जानी जाती हैं।