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अलवर के प्राचीन नौ गजा मंदिर को रखरखाव की दरकार...

जैन समुदाय की धरोहर है भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा

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राजस्थान में अलवर जिले के टहला कस्बे में स्थित ऐतिहासिक नीलकंठ एवं नौ गजा मंदिर राज्य सरकार एवं पर्यटन विभाग की अनदेखी के चलते उपेक्षित पडा़ है।

अखिल भारत वर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ संरक्षण महासभा के प्रतिनिधि खिल्लीमल जैन ने बताया कि यहां व्याप्त अव्यवस्थाओं से राज्य सरकार, पर्यटन विभाग और जिला कलेक्टर को कई बार अवगत कराया गया लेकिन अब तक किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया है। उन्होंने बताया कि यह स्थल प्राचीन होने के साथ-साथ ऐतिहासिक और जैन समुदाय की धरोहर माना जाता है।

उन्होंने बताया कि नौ गजा मंदिर में करीब 16 फुट ऊंची जैन तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ की प्राचीन प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा नौवीं-दसवीं शताब्दी की हैं, लेकिन रख-रखाव नहीं होने के कारण उपेक्षित हाल में हैं।

पर्यटन विभाग ने इस स्थान को ऐतिहासिक मानते हुए पर्यटकों के लिए चिह्नित भी किया हुआ है। उन्होंने बताया कि नीलकंठ में विभिन्न धर्मों एवं संस्कृति से संबंधित करीब तीन हजार मूर्तियां है, जिन्हे गोदाम में बंद करके रखा हुआ है। मूर्तियों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने पुलिस तो तैनात कर रखी है, लेकिन यहां के विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि यहां स्थापित भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा क्षतिग्रस्त होने के कगार पर है, जिसे धूप और बारिश से बचाने के लिए शेड बनाने की आवश्यकता हैं। इस स्थान को लेकर जैन धर्मावलंबियों में जागृति पैदा करने के लिए एक कैलेंडर भी प्रकाशित किया गया हैं, जिसका विमोचन अलवर आए जैन मुनि उपाध्याय श्री निर्भय सागर जी के हाथों कराया गया है।

दिगम्बर जैन महासमिति के संभाग अध्यक्ष अनंत कुमार जैन का कहना हैं कि नीलकंठ का जीर्णोद्धार कर भंडार में रखी गई मूर्तियों का संग्रहालय स्थापित कर इसे पर्यटकों के लिए खोला जाए तो देशी-विदेशी सैलानी अधिक आकर्षित हो सकते हैं। (वार्ता)

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