Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

ईको पर्यटन पर पोस्टर प्रदर्शनी

चित्रों में समाहित हुई प्रकृति और वास्तुकला

Advertiesment
हमें फॉलो करें मप्र ईको टूरिज्म बोर्ड
ND

आवास महज आवास नहीं होते, बल्कि यह हमारी संस्कृति का भी हिस्सा हैं, इनके निर्माण में पर्यावरण के साथ ही वास्तुविदीय पहलू भी अहम है। भोपाल के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के वीथि संकुल में लगाई गई विभिन्न लोक एवं जनजातीय समाजों के आवासों पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी से इस बात को और बल मिल जाता है कि हम आवासों में वास्तु कला को ध्यान में रखते हुए संस्कृति और प्रकृति के संतुलन से कैसे जोड़ें।

स्कूल ऑफ प्लानिंग एण्ड आर्किटेक्चर, मप्र ईको टूरिज्म बोर्ड एवं मानव संग्रहालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित यह दो दिवसीय पोस्टर प्रदर्शनी महज एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि ग्रामीण आवासों में वास्तुकला का एक सुंदर नमूना भी है।

इस पोस्टर प्रदर्शनी का शुभारंभ करते हुए वनमंत्री सरताज सिंह ने कहा कि हमारा देश सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय विविधताओं से समृद्ध है। भारत की इन्ही विविधताओं का दर्शन करने विदेशों से अनेक पर्यटक भारत आते हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि हमारी संस्कृति की मूल पहचान और विशेषताओं को कायम रखते हुए हम पर्यटकों को सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय परिवेश को ध्यान में रखते हुए जानकारी उपलब्ध कराएं।

आवास निर्माण में वास्तुकला को ध्यान में रखते हुए इसे ईको पर्यटन से कैसे जोड़ा जाए, विद्यार्थियों ने इस बात को ध्यान में रखते हुए अपने पोस्टरों में बखूबी चित्रित किया है। मानव संग्रहालय में लगाई गई पोस्टर प्रदर्शनी में जनजातीय आवासों के चित्रण के साथ ही उनकी संस्कृति और परंपरा का भी जीवंतता प्रदान की गई है।

संग्रहालय में प्रदर्शित किए गए सभी पोस्टर स्कूल ऑफ प्लानिंग एण्ड आर्किटेक्चर के तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने तैयार किए हैं। यह पोस्टर संग्रहालय के मुक्ताकाश में प्रदर्शित विभिन्न जनजातीय समाजों के आवासों पर केंद्रित हैं, जिनमें यहां के 12 आवासों को शामिल किया गया है। इसमें विद्यार्थियों की 12 टीमें शामिल थीं।

webdunia
ND
विद्यार्थियों द्वारा तैयार किए गए इन पोस्टर की खास बात यह थी कि यह अपने आप में बेहद अनूठे ही नहीं, बल्कि अतुलनीय हैं। पोस्टर में जिन आवासों को शामिल किया गया है, उनके प्रत्येक पहलू को ध्यान में रखा गया है। जैसे मकान निर्माण के उपयोग में ली गई सामग्री, उनकी उपयोगिता, मौसम अनुरूप उनकी व्यवस्थाएं, पर्यावरण के लिए अनुकूलता आदि। इनमें हिमाचल प्रदेश का कोठी हाउस, हिमाचल प्रदेश का साइट मैप, पश्चिम बंगाल एवं वारली, महाराष्ट्र के आवासों का चित्रण, अरुणाचल प्रदेश की गालो जनजातियों के आवास शामिल हैं।

पोस्टर्स में न सिर्फ जनजातीय आवासों की संरचना को वास्तुकला के हिसाब से ढाला गया था, बल्कि उन जनजातियों की गतिविधियां, परंपरा और लोक कलाएं भी दर्शायी गईं हैं, जिनसे उस दौर के बारे में जानकारी भी हासिल होती है।

पोस्टर्स में वास्तुकला के हिसाब से दर्शाए गए नमूने भविष्य में संभावनाओं के द्वार भी खोलते हैं। आज जबकि सारा विश्व पर्यावरणीय समस्या से जूझ रहा है ऐसे में पर्यावरण की अनुकूलता को लिए हुए यह आवास भविष्य की मांग हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए ऐसे निर्माण किए जा सकते हैं। यह परंपरा, संस्कृति और वास्तुकला के साथ ही आधुनिकता के द्योतक हैं, जिन्हें जरूरत के मुताबिक आधुनिक स्वरूप में विकसित किया जा सकता है।

इस अवसर पर मप्र ईको टूरिज्म बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एके भट्टाचार्य, मानव संग्रहालय के सहायक क्यूरेटर एसके रावत, प्रिसिपल चीफ सेक्रेटरी ऑफ फॉरेस्ट आरके दवे सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi