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केदारनाथ यात्रा में घोड़े और खच्चरों पर अस्थायी रोक

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गौरीकुंड-केदारनाथ धाम पैदल मार्ग पर सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए रूद्रप्रयाग जिला पंचायत ने तत्काल प्रभाव से घोड़े और खच्चरों की आवाजाही पर अस्थायी रोक लगा दी है।

जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी यशवंत रावत ने बताया कि 14 किलोमीटर लंबे पहाड़ी रास्ते पर घोड़े और खच्चरों की आवाजाही पर अस्थायी रोक का निर्णय उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा मार्ग की साफ-सफाई पर अप्रसन्नता जाहिर करने के बाद लिया गया।

मार्ग पर गदंगी फैले रहने से संबंधित दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने जिला पंचायत को उचित कदम उठाने का निर्देश देते हुए इस संबंध में एक कार्ययोजना बना कर उसे आगामी छह अक्टूबर को कोर्ट में पेश करने को कहा था।

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रावत ने कहा कि आगामी शनिवार को मार्ग की सफाई से संबंधित कार्ययोजना अदालत में पेश की जाएगी और वहां से मिले निर्देश के अनुसार अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। गौरीकुंड से केदारनाथ धाम पहुंचने के पैदल मार्ग पर घोड़े और खच्चरों की आवाजाही की वजह से काफी गंदगी और बदबू फैली रहती है और काफी समय से श्रद्धालु और समाजिक कार्यकर्ता मार्ग पर सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए आवाज उठा रहे थे।

जिला पंचायत का नया आदेश लागू होने के बाद केदारनाथ धाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को अब दर्शन के लिए पैदल जाना अथवा डंडी-कंडी (डोली और टोकरी) का उपयोग करना पड़ेगा। नए आदेश के कारण जहां घोड़ा और खच्चर चलाने वाले लोगों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है, वहीं तीर्थयात्रियों के लिए भी यात्रा मंहगी हो गई है।

तीर्थयात्रियों को केदारनाथ मंदिर पहुंचने के लिए घोड़े और खच्चर की सुविधा लेने पर आने-जाने के लिए जहां प्रति व्यक्ति 1700 रुपए देने पड़ते थे, अब डंडी-कंडी का उपयोग करने पर करीब 5000 रुपए प्रति व्यक्ति देने होंगे। रावत ने बताया कि अप्रैल और मई महीने में यात्रा सीजन के चरम पर रहने के दौरान 4000-5000 घोड़े और खच्चर गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर चलते हैं, जबकि बरसात के दौरान यह संख्या कम हो जाती है।

केदारनाथ मंदिर 10,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर गढ़वाल हिमालय की पहाड़ियों में स्थित है और अप्रैल-मई से अक्टूबर-नवंबर के मध्य यहां देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। (भाषा)

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