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उत्तराखंड की चारधाम यात्रा मंगलवार से शुरू

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देहरादून। बार-बार बारिश और बर्फबारी से मौसम के बदल रहे मिजाज के बीच मंगलवार को अक्षय  तृतीया के पावन पर्व पर गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खुलने के साथ ही इस वर्ष की हिमालयी चारधाम यात्रा शुरू हो रही है।


 
वर्ष 2013 की भीषण आपदा के बाद तीर्थयात्रियों का रुख दोबारा प्रदेश की ओर करने के प्रयास में जुटी राज्य सरकार ने ऊंची चोटियों पर हिमपात और निचले क्षेत्रों में बारिश होने से बार-बार मौसम में आ रहे बदलाव के बावजूद चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर पूरी व्यवस्था चाक-चौबंद होने का दावा किया है।
 
प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा मुख्यमंत्री रावत व्यवस्था का जायजा लेने के लिए स्वयं केदारनाथ और बद्रीनाथ सहित अन्य जगहों का दौरा कर रहे हैं।
 
गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि मंगलवार को दोपहर 12.30 बजे कर्क लग्न में मंदिर के कपाट श्रद्घालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। उत्तरकाशी जिले में स्थित दूसरे प्रमुख धाम यमुनोत्री के कपाट भी मंगलवार को सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर खोले जाएंगे।
 
उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित चारधामों के नाम से विश्वप्रसिद्घ 2 अन्य धामों- केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट भी क्रमश: 24 अप्रैल को प्रात: 8.30 बजे और 26 अप्रैल को प्रात: 5  बजकर 15 मिनट पर खोले जाएंगे।
 
रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम और चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम सहित चारों धाम 10 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण सर्दियों में भारी बर्फबारी और भीषण ठंड की चपेट में रहते हैं और इस कारण उन्हें हर वर्ष अक्टूबर-नवंबर में श्रद्घालुओं के लिए बंद कर दिया जाता है। अगले साल अप्रैल-मई में ये धाम दोबारा श्रद्घालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं। 
 
6 माह के यात्रा सीजन के दौरान देश-विदेश से लाखों तीर्थयात्री और पर्यटक इन धामों के दर्शन के लिए उत्तराखंड आते हैं। चारधाम यात्रा को गढ़वाल हिमालय की आर्थिकी की रीढ़ माना जाता है। हालांकि वर्ष 2013 में जून माह के मध्य में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद से उत्तराखंड आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में काफी गिरावट दर्ज की गई।
 
पर्यटन मंत्री दिनेश धनै ने बताया कि 2014 में प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की संख्या 2.26  करोड़ रही जबकि 2013 में 2.09 करोड़ पर्यटक आए। आपदा से पहले वर्ष 2012 में प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की संख्या 2.84 करोड़ थी। राज्य सरकार ने श्रद्घालुओं का भरोसा जीतने के लिए  अन्य सुरक्षा उपायों के साथ-साथ सुरक्षित उत्तराखंड अभियान भी चलाया।
 
चारों धामों का सड़क मार्ग से दौरा कर वापस आए पर्यटन सचिव उमाकांत पंवार की अगुवाई वाले वरिष्ठ अधिकारियों के एक दल ने दावा किया कि यात्रा से संबंधित 95 फीसदी तैयारियां लगभग पूरी  हो चुकी हैं और पिछले साल के मुकाबले इस साल सड़कों की दशा काफी बेहतर है।
 
उन्होंने कहा कि भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में बारिश के कारण मलबा आने से कुछ स्थानों पर थोड़ी दिक्कत के अलावा मार्ग ठीक हैं।
 
पर्यटन सचिव पंवार ने कहा कि लामबगड़ और सिरोबगड़ स्लाइडिंग जोन में बारिश के कारण भूस्खलन की संभावना के मद्देनजर वहां जेसीबी मशीनें और अन्य उपकरण तैनात कर दिए गए हैं जिससे मार्ग तुरंत खोले जा सकें।

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