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27 सितंबर : विश्व पर्यटन दिवस विशेष

हमें फॉलो करें 27 सितंबर : विश्व पर्यटन दिवस विशेष
ऋषि गौतम 
रोज की व्यस्ततम दिनचर्या और तनाव से जरा दूर हटकर प्रकृति और दुनिया के अलग-अलग रंगों को करीब से देखना बेहद खूबसूरत और तरोताजा कर देने वाला एहसास है। दुनिया घूमने के शौकीन लोगों के लिए भी एक दिन तय है जिसे आप इस शौक के उत्सव के तौर पर मना सकते हैं। जी हां 27 सितंबर, विश्व पर्यटन दिवस हर साल इस तारीख को पर्यटन के उत्सव के तौर पर मनाया जाता है


पर्यटन का उद्देश्य - पर्यटन सिर्फ हमारे जीवन में खुशियों के पल को वापस लाने में ही मदद नहीं करता है बल्कि यह किसी भी देश के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
 
आज के समय में जहां हर देश की पहली जरूरत अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है वहीं आज पर्यटन के कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है। यूरोपीय देश, तटीय अफ्रीकी देश, पूर्वी एशियाई देश, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि ऐसे देश हैं, जहां पर पर्यटन उद्योग से प्राप्त आय वहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है। 
 
पर्यटन का महत्व और पर्यटन की लोकप्रियता को देखते हुए ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1980 से 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के तौर पर मनाने का निर्णय लिया। विश्व पर्यटन दिवस के लिए 27 सितंबर का दिन चुना गया क्योंकि इसी दिन 1970 में विश्व पर्यटन संगठन का संविधान स्वीकार किया गया था। 
 
पर्यटन दिवस की खासियत यह है कि हर साल लोगों को विभिन्न तरीकों से जागरूक करने के लिए पर्यटन दिवस पर विभिन्न तरीके की थीम रखी जाती है। इस साल इस दिवस का थीम रखी गई है- ‘टूरिज्म एंड वाटर- प्रोटेक्टिंग आवर कॉमन फ्यूचर।' 

यूं तो पर्यटन दुनियाभर के लोगों का पसंदीदा शगल रहा है, लेकिन पर्यटन में भी जल आधारित पर्यटन का अपना विशेष महत्व है। नदियों, झीलों, जल प्रपातों के किनारे दुनियाभर में कई पर्यटन स्थलों का विकास हुआ है और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। विश्व पर्यटन दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य पर्यटन और उसके सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व आर्थिक मूल्यों के प्रति विश्व समुदाय को जागरूक करना है।
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भारत में पर्यटन के आयाम - भारत जैसे देशों के लिए पर्यटन का खास महत्व होता है। भारत जैसे देश की पुरातात्विक विरासत या संस्कृति केवल दार्शनिक स्थल के लिए नहीं होती है, इसे राजस्व प्राप्ति का भी स्रोत माना जाता है और साथ ही पर्यटन क्षेत्रों से कई लोगों की रोजी-रोटी भी जुड़ी होती है। आज भारत जैसे देशों को देखकर ही विश्व के लगभग सभी देशों में पुरानी और ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण दिया जाने लगा है। 
 
भारत असंख्‍य अनुभवों और मोहक स्‍थलों का देश है। चाहे भव्‍य स्‍मारक हो, प्राचीन मंदिर या मकबरे हो, इसके चमकीले रंगों और समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत का प्रौद्योगिकी से चलने वाले इसके वर्तमान से अटूट संबंध है। केरल, शिमला, गोवा, आगरा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, मथुरा, काशी जैसी जगहें तो अपने विदेशी पर्यटकों के लिए हमेशा चर्चा में रहती हैं। भारत में अपने लोगों के साथ लाखों विदेशी लोग प्रतिवर्ष भारत घूमने आते हैं। 
 
भारत में पर्यटन की उपयुक्‍त क्षमता है। यहां सभी प्रकार के पर्यटकों को चाहे वे साहसिक यात्रा पर हो, सांस्‍कृतिक यात्रा या वह तीर्थयात्रा करने आए हो या खूबसूरत समुद्री-तटों की यात्रा पर निकले हो, सबके लिए खूबसूरत जगहें हैं। दिल्ली, मुंबई, राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में तो लोगों को घूमते-घूमते महीना बीत जाता है। 
 
एक समय ऐसा आया जब भारत के पर्यटन स्थल खतरे में नजर आने लगे और लगने लगा कि शायद अब भारत पर्यटक स्थल के नाम पर पर्यटकों की पहली पसंद नहीं रहेगा। दुनिया में आई आर्थिक मंदी और आतंकवाद के चलते ऐसा लगने लगा कि पर्यटक अब भारत का रुख करना पसंद नहीं करेंगे पर ऐसा नहीं हुआ। भारत की सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता इतनी ज्यादा है कि पर्यटक ज्यादा समय तक यहां के सुंदर नजारे देखने से दूर नहीं रह सके। 
 
यही वजह है कि भारत में विदेशी सैलानियों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न शहरों में अलग-अलग योजनाएं भी लागू की गई हैं। भारतीय पर्यटन विभाग ने सितंबर 2002 में ‘अतुल्य भारत’ नाम से एक नया अभियान शुरू किया था। इस अभियान का उद्देश्य भारतीय पर्यटन को वैश्विक मंच पर प्रमोट करना था जो काफी हद तक सफल हुआ। 
 
इसी तरह राजस्थान पर्यटन विकास निगम ने रेलगाड़ी की शाही सवारी कराने के माध्यम से लोगों को पर्यटन का लुत्फ उठाने का मौका दिया। जिसे 'पैलेस ऑन व्हील्स' नाम दिया गया। राजस्थान पर्यटन विकास निगम की यह पहल दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर भारत का नाम रोशन करने वाला माना गया है।
 
देश की पर्यटन क्षमता को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने वाला यह अपने किस्म का यह पहला प्रयास था। पर्यटन के क्षेत्र में विकास इसके पहले राज्य सरकारों के अधीन हुआ करता था। राज्यों में समन्वय के स्तर पर भी बहुत थोड़े प्रयास दिखते थे। देश के द्वार विदेशी सैलानियों के लिए खोलने का काम यदि सही और सटीक विपणन ने किया तो हवाई अड्डों से पर्यटन स्थलों के सीधे जुड़ाव ने पर्यटन क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 
 
आज सैलानी पर्यटन के लिहाज से सुदूर स्थलों की सैर भी आसानी से कर सकते हैं। निजी क्षेत्रों की विमान कंपनियों को देश में उड़ान भरने की इजाजत ने भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। सिमटती दूरियों के बीच लोग बाहरी दुनिया के बारे में भी जानने के उत्सुक रहते हैं। यही कारण है कि आज दुनिया में टूरिज्म एक फलता-फूलता उद्योग बन चुका है।


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