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कच्छ के रण उत्सव में उमड़ रहा है जन सैलाब

रण उत्सव में आए देश-विदेश के सैलानी

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कच्छ। सफेद नमक के पहाड़, मंत्रमुग्ध कर देने वाला सूर्योदय और सूर्यास्त तथा गुजराती संस्कृति के विविध रंग, भारत-पाक सीमा पर चल रहे रण उत्सव देश-विदेश के सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं।

मंगलवार, 17 दिसंबर से शुरू हुआ और दो महीने तक चलने वाला रण उत्सव दुनिया के सामने जिले की प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक धरोहर को पेश करता है। यहां हर उम्र के लोग उत्सव का हिस्सा बन रहे हैं। यहां पहली बार आने वाले लोग भी हैं और ऐसे लोग भी हैं जो साल-दर-साल नमक के मौसमी पहाड़ों को देखने के लिए एकत्रित होते हैं।

ग्रीष्मकालीन मानसून के दौरान श्वेत रण नमक मित्तिकाओं के सफेद समतल रेगिस्तान के रूप में नजर आता है, जो समुद्र तल से औसतन 15 मीटर की ऊंचाई पर है। यह कच्छ जिले में भारत-पाक सीमा के नजदीक स्थित है, जहां ठहरा हुआ जल भरा रहता है।

यह दिसंबर के अंत से सूखना शुरू होता है जिससे खुले आसमान के नीचे ‘सफेद रेगिस्तान’ का अनोखा नजारा नजर आता है। यह उत्सव के दौरान पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है।

राज्य पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछली बार श्वेत रण को देखने करीब आठ लाख लोग आए थे। उत्सव में दिन प्रतिदिन भीड़ बढ़ेगी।

इस मेले में सूर्योदय से सूर्यास्त और चंद्रोदय तक पूरी आभा के साथ नमक के चमकीले रेगिस्तान को देखने तथा अत्यंत सुसज्जित आलीशान तंबुओं में जीवन गुजारने का मौका मिलता है। (भाषा)

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