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हाथियों की परेड का मुख्य आकर्षण ‘पूरम’ त्योहार

हाथियों की परेड पर प्रतिबंध से आयोजक असमंजस में

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सुसज्जित हाथियों की परेड के मुख्य आकर्षण वाले ‘पूरम’ त्योहार को आरंभ होने में कुछ ही दिन शेष हैं लेकिन हाथियों को गर्मी से बचाने के लिए दिन में उनकी परेड पर रोक लगा दिए जाने से आयोजक असमंजस की स्थिति में फंस गए हैं।

तिरुवम्बाडी देवोस्वोम और परमेक्कावु देवोस्वोम में कुडामट्टम (हाथियों के ऊपर लगी रंगबिरंगी छतरियों की अदला-बदली) और हाथियों की परेड उत्सव का मुख्य आकर्षण होती है।

आयोजकों को आशंका है कि वन विभाग की ओर से लगाए गए प्रतिबंध के कारण 21 अप्रैल को आयोजित होने वाले समारोह की चमक फीकी पड़ जाएगी।

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तिरुवम्बाडी देवोस्वोम के प्रोफेसर माधवनकुट्टी और परमेक्कावु देवोस्वोम के अध्यक्ष केके मेनन ने कहा कि कुडामट्टम और हाथियों की परेड पहले की तरह ही आयोजित की जाएगी और उत्सव को बड़े स्तर पर मनाया जाएगा।

राज्य वन विभाग ने सुबह 11 बजे से दोपहर साढे़ तीन बजे तक हाथियों की परेड पर रोक लगा दी है ताकि उन्हें गर्मी से बचाया जा सके।

साथ ही यह भी आदेश दिया गया है कि हाथियों से लगातार छह घंटे से अधिक काम नहीं लिया जाना चाहिए और जिन हाथियों से रात में काम लिया जाता है उन्हें अगले दिन आराम दिया जाना चाहिए।

आयोजकों को हिदायत दी गई है कि वे दर्शकों को हाथियों से कम से कम तीन मीटर की दूरी पर रखें और यह सुनिश्चित करें कि हाथियों को कोई स्पर्श न करें। आयोजन के दौरान हाथियों को संभालने का जिम्मा ऐसे महावत को न दिया जाए जो शराब के नशे में है।

गौरतलब है कि ‘त्रिशूर पूरम’ मलयालम कैलेंडर के अनुसार प्रतिवर्ष मेदम माह (मध्य अप्रैल से मध्य मई के बीच) में मनाया जाता है।

माधवनकुट्टी ने कहा कि इस मामले को मुख्यमंत्री ओमन चांडी के पास ले जाया गया है। (भाषा)

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