Ujjain Mahakal Temple Darshan: मध्यप्रदेश की कुंभ नगरी उज्जैन में क्षिप्रा नदी के पास 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर बाबा का मंदिर है। यह ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रमुख है। यहीं पर 2 शक्तिपीठ भी स्थित है। महान विक्रामादित्य की नगरी में स्थित इस शिवलिंग की प्राचीनता के बारे में कोई नहीं जानता है।
श्मशान, ऊषर, क्षेत्र, पीठं तु वनमेव च,
पंचैकत्र न लभ्यते महाकाल पुरदृते। (अवन्तिका क्षेत्र माहात्म्य 1-42)
यहां पर श्मशान, ऊषर, क्षेत्र, पीठ एवं वन- ये 5 विशेष संयोग एक ही स्थल पर उपलब्ध हैं। यह संयोग उज्जैन की महिमा को और भी अधिक गरिमामय बनाता है।
ज्योतिर्लिंग : उज्जैन स्थित महाकाल बाबा का ज्योतिर्लिंग सभी ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख है क्यों पुराणों में लिखा है कि आकाशे तारकं लिंगं, पाताले हाटकेश्वरम्। मृत्युलोके च महाकालौ: लिंगत्रय नमोस्तुते।।
अर्थात:- आकाश में तारकलिंग है पाताल में हाटकेश्वरलिंग है तथा मृत्युलोक में महाकाल ज्योतिर्लिंग स्थित है। सभी 12 ज्योतिर्लिंगों को नस्कार। मतलब यह कि इस धरती पर एकमात्र महाकाल ज्योतिर्लिंग ही है जिन्हें कालों के काल महाकाल कहा जाता है।
गर्भगृह में महाकाल ज्योतिर्लंग मंदिर : वर्तमान में जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है, वह 3 खंडों में विभाजित है। निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्य खंड में ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर स्थित है। नागचन्द्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन वर्ष में एक बार नागपंचमी के दिन ही करने दिए जाते हैं। मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुंड है।
महाकाल ज्योतिर्लिंग : गर्भगृह में विराजित भगवान महाकालेश्वर का विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग है। इसी के साथ ही गर्भगृह में माता पार्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की मोहक प्रतिमाएं हैं। गर्भगृह में नंदी दीप स्थापित है, जो सदैव प्रज्वलित होता रहता है। गर्भगृह के सामने विशाल कक्ष में नंदी की प्रतिमा विराजित है। यहां पर प्रात: 6 बजे से रात्रि के 10 बजे तक दर्शन कर सकते हैं।
जूना महाकाल : महाकाल के दर्शन करने के बाद जूना महाकाल के दर्शन जरूर करना चाहिए। कुछ लोगों के अनुसार जब मुगलकाल में इस शिवलिंग को खंडित करने की आशंका बढ़ी तो पुजारियों ने इसे छुपा दिया था और इसकी जगह दूसरा शिवलिंग रखकर उसकी पूजा करने लगे थे। बाद में उन्होंने उस शिवलिंग को वहीं महाकाल के प्रांगण में अन्य जगह स्थापित कर दिया जिसे आज 'जूना महाकाल' कहा जाता है। हालांकि कुछ लोगों के अनुसार असली शिवलिंग को क्षरण से बचाने के लिए ऐसा किया गया।
भस्मारती : पूरे भारतवर्ष में यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जहां ताजी चिताभस्म से प्रात: 4 बजे भस्म आरती होती है। इस मंदिर से ही प्राचीनकाल में संपूर्ण विश्व के मानक समय का निर्धारण होता था। इसलिए भी इन्हें कालों के काल महाकाल कहा जाता है। उज्जैन के आकाश से ही काल्पनिक कर्क रेखा गुजरती है।
वैदिकघड़ी : एक समय और दूसरा मृत्यु। महाकाल को 'महाकाल' इसलिए कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहीं से संपूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित होता था इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम 'महाकालेश्वर' रखा गया है। यहीं पर से अनुमानित कर्क रेखा गुजरती है। इसीलिए यहां पर प्राचीन काल में कर्कराज मंदिर स्थापित किया गया। वैदिक घड़ी क्या है और क्या है इसकी खासियत। उज्जैन में साढ़े तीन काल विराजमान है- महाकाल, कालभैरव, गढ़कालिका और अर्ध काल भैरव। इनकी पूजा का विशेष विधान है।