संसद में आम बजट से पहले वित्तमंत्री की ओर से आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाता है, जो कि देश की आर्थिक स्थिति की दशा और दिशा को बताता है। वास्तव में यह वित्त मंत्रालय की ओर से पेश की जाने वाली आधिकारिक रिपोर्ट होती है, जिसे इकानॉमिक सर्वे कहलाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण में बताया जाता है कि वर्ष के दौरान विकास की प्रवृत्ति क्या रही? किन-किन योजनाओं को अमल में लाया गया और इनके क्या-क्या संभावित परिणाम सामने आने वाले हैं। इस तरह के सभी पहलुओं पर सूचना दिए जाने के साथ अर्थव्यवस्था, पूर्वानुमान और नीतिगत स्तर पर चुनौतियों संबंधी विस्तृत सूचनाओं को भी इसमें स्थान दिया जाता है।
इसमें अर्थव्यवस्था के क्षेत्रवार हालातों की रूपरेखा और सुधार के उपायों के बारे में बताया जाता है। मोटे तौर पर यह सर्वेक्षण भविष्य में बनाई जाने वाली नीतियों के लिए एक दृष्टिकोण का काम करता है। विस्तृत आर्थिक स्थिति में इस बात पर भी जोर दिया जाता है कि किन क्षेत्रों पर सरकार को ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
यह सर्वेक्षण केवल सिफारिशें होती हैं और इन्हें लेकर कोई कानूनी बाध्यता नहीं होती है और इस कारण से सरकार इन्हें केवल निर्देशात्मक रूप से लेती है। आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार के साथ वित्त और आर्थिक मामलों के जानकारों की टीम तैयार करती है।