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बजट में महंगाई के बोझ तले दबे करदाता को कितनी राहत देगी सरकार

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वृजेन्द्रसिंह झाला

Nirmala Sitharaman Budget 2025-26: केन्द्र सरकार के बजट 2025-26 को लेकर विभिन्न क्षेत्रों के लिए अलग-अलग संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं। हर वर्ग के लोग वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से उम्मीद लगाए बैठे हैं। हालांकि भारत में विकास दर घटने की संभावना भी जताई जा रही है। 
 
इंदौर के वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट गोविंद अग्रवाल ने वेबदुनिया को बताया कि सबसे सकारात्मक बात यह है कि केन्द्र में मजबूत सरकार है और जीएसटी कलेक्शन में अत्यधिक बढ़ोतरी हो रही है। नकारात्मक बातें भी कम नहीं हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल कीमतों में वृद्धि के साथ ही अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद भारत वस्तुओं के निर्यात पर टैक्स बढ़ने की संभावना है। 
 
लगातार बढ़ता आर्थिक बोझ : अग्रवाल कहते हैं कि सरकार द्वारा दी जा रहीं विभिन्न रियायतों के कारण सरकार पर आर्थिक बोझ लगातार बढ़ रहा है और भारत की विकास दर में भी कुछ कमी की संभावना व्यक्त की जा रही है। दूसरी ओर, आम करदाता भी महंगाई के कारण काफी प्रभावित हुआ है। ऐसे में सरकार आयकर की सीमा बढ़ा सकती है तथा प्रभावी कर की दरों में कटौती कर सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार वेतनभोगी करदाताओं को स्टेंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी कर राहत दी जा सकती है। 
सिंगल सिस्टम को प्रभावी बनाने की जरूरत : सीए अग्रवाल कहते हैं कि भागीदारी फर्मों पर वर्तमान कर की दर 30 प्रतिशत है, जबकि कंपनी करदाताओं पर यह 25 फीसदी है। भागीदारी फर्मों के कर की दर कंपनी के हिसाब से लागू की जाए तो राहत मिल सकती है। उन्होंने कहा कि जीएसटी में कई वस्तुओं में कर दर में विसंगतियां हैं। ऐसे में कर विसंगतियों को दूर किया जाना चाहिए। उद्योग जगत के लिए सिंगल विंडो सिस्टम को और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है। कर कानून सरल और स्थायी होना चाहिए। इसमें अधिक परिवर्तन नहीं करना चाहिए। 
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अग्रवाल ने कहा कि कई बार कर कानूनों के पीछे का उद्देश्य समझ में नहीं आता है। कोई नया कर कानून लाया जाता फिर उसे वापस ले लिया जाता है। इससे भ्रांतियां ही उत्पन्न होती हैं। कर कानून में पेचीदगियां होने से कर विवाद बढ़ते हैं। बहुत ज्यादा लिटिगेशन होने से अपीलें बढ़ जाती हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए बजट पेश किया जाता है तो आम करादाता और उद्योग जगत को फायदा होगा। 
 

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