पूर्वांचल में अंसारी बंधुओं का काफी रुतबा कायम है, यह बात किसी से छुपी नहीं है। खासकर 6ठे व 7वें चरण के होने वाले चुनाव जिन क्षेत्रों में होने हैं, उनमें मुख्य रूप से गाजीपुर, बलिया व मऊ जिलों में अंसारी परिवार का काफी आधार माना जाता है और अब तो कौमी एकता दल का बहुजन समाज पार्टी में विलय हो जाने के बाद से यही कहा जा रहा है कि अंसारी बंधुओं की मजबूती और बढ़ गई है।
मुख्तार अंसारी ने पार्टी का पहले समाजवादी पार्टी में विलय किया। पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव की उपस्थिति व निर्देश पर, किंतु मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विरोध के चलते पुन: सपा से अंसारी बंधुओं व पार्टी को वापस होना पड़ा और समाजवादी पार्टी की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी पार्टी बहुजन समाज पार्टी के साथ हाथ मिलाकर व अपनी पार्टी कौमी एकता दल का बसपा में विलय कर बसपा से प्रत्याशी के रूप में खुद मुख्तार अंसारी, भाई सिगबतुल्लाह अंसारी व बेटे अब्बास अंसारी ने चुनावी मैदान में उतरकर विरोधियों की चिंता को बढ़ा दिया।
खुद मुख्तार अंसारी मऊ सदर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं तो बेटा अब्बास अंसारी घोसी विधानसभा से एवं भाई सिगबतुल्लाह अंसारी मोहम्मदाबाद विधानसभा से। इसी सीट से प्रतिद्वंद्वी स्व. कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय भाजपा प्रत्याशी के रूप में कड़ी टक्कर में हैं। हालांकि मुख्तार अंसारी जेल में हैं लेकिन फिर भी चुनाव क्षेत्र में उनका जलवा कायम है जिससे 11 मार्च की मतगणना से पता चल जाएगा कि अंसारी बंधुओं का जलवा कितना काम करता है?