समाजवादी पार्टी में पिता और पुत्र का घमासान जारी है। अब बस फैसला इस बात पर होना है कि पार्टी और चुनाव चिन्ह किसका होगा। संभवत: सोमवार को चुनाव आयोग इस पर अपना फैसला सुना सकता है। चुनाव आयोग इस पर फैसला सुनाएगा कि 'साइकिल' चिह्न किसका होगा। यह भी हो सकता है कि आयोग 'साइकिल' चिह्न को फ्रिज कर दे यानी दोनों ही गुटों में से किसी को भी ये चिह्न चुनाव लड़ने के लिए नहीं मिलेगा। चिह्न फ्रीज होने की आशंका ज्यादा मानी जा रही है।
दोनों गुटों ने चुनाव आयोग के समक्ष अपना अपना पक्ष रख दिया है। पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अब चुनाव चिह्न कोई भी हो, चुनाव वही प्रत्याशी लड़ेंगे जिनके टिकट उनके दस्तखत से जारी होंगे। मुलायम सिंह यादव ने दावा किया कि ये मामला उनके बाप-बेटे के बीच में है, बेटे को कुछ लोगों ने बहका दिया।
इससे पहले अखिलेश यादव के समर्थक रामगोपाल यादव की अगुवाई में चुनाव आयोग पहुंचे तो चुनाव आयोग से चुनाव की तारीखें पास आने की बात रखते हुए इस मामले में जल्द फैसला लेने की अपील की। चुनाव आयोग ने अखिलेश गुट के लोगों को निर्देश दिए कि पार्टी के विधायकों की जो सूची आयोग में वो दे रहे हैं, उनकी कॉपी दूसरे पक्ष यानी मुलायम सिंह यादव को दी जाए। अखिलेश खेमे की तरफ से नेताजी को उनके दिल्ली और लखनऊ दफ्तर में कागजात भेजे गए, लेकिन कहीं भी किसी ने भी ये कागजात स्वीकार नहीं किए।
अखिलेश गुट ने बकायदा लखनऊ में मीटिंग की और विधायकों, एमएलसी से हलफनामें पर दस्तखत कराए गए कि किनके साथ हैं। इसके बाद रामगोपाल ने दावा किया कि 2212 विधायक, 68 एमएलसी और 15 सांसद उनके पाले में हैं. रामगोपाल ने कहा कि जहां अखिलेश हैं वहीं असली समाजवादी पार्टी है।
दूसरी ओर मुलायम सिंह यादव अमर सिंह और शिवपाल यादव के साथ चुनाव आयोग पहुंचे थे। चुनाव आयोग में उन्होंने पार्टी संविधान का हवाला देते हुए दावा किया कि वही हैं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिलेश कैंप के दावों में कोई दम नहीं है। मुलायम ने चुनाव आयोग से कहा कि पार्टी के संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अधिवेशन में राष्ट्रीय अध्यक्ष को हटाया नहीं जा सकता है। राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाने के लिए कम से कम 30 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य है, जिसका पालन नहीं किया गया।
मुलायम गुट ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की एक प्रक्रिया है, जिसका पालन नहीं किया गया। रामगोपाल यादव को पहले से ही उनके पद से हटा दिया गया था। लिहाजा वो कोई रेजोल्यूशन नहीं ला सकते। उनके पार्टी से जुड़ने का ऐलान सिर्फ ट्विटर के जरिए ही हुआ था, जो कि मान्य नहीं हो सकता। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि अधिवेशन में मुलायम सिंह यादव को हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया था। लिहाजा नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने का औचित्य ही नहीं पैदा होता। अखिलेश कैंप जिनके समर्थन का दावा कर रहा है, चुनाव आयोग उनका फिजिकल वैरिफिकेशन करवाए।
अब दोनों नही पक्षों को चुनाव आयोग के फैसले का इंतजार है। इस बीच खबर है कि चुनाव आयोग का जो भी फैसला आता है, अखिलेश यादव गुट उसके 24 घंटे के भीतर कांग्रेस और आरएलडी के साथ गठबंधन का ऐलान कर सकते हैं। इसके साथ गठबंधन का संयुक्त घोषणा पत्र भी जारी किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक गठबंधन में कितनी सीटें, किसको मिलेंगी। इसको लेकर भी लगभग सहमति बन गई है। चुनावों में अखिलेश यादव का घोषणा पत्र क्या होगा। इसको भी अंतिम रूप दिया जा चुका है। घोषणापत्र में कांग्रेस से भी राय ली गई है। हालांकि आज देखना होगा कि समाजवादी पार्टी के इस दंगल में कौन विजेता घोषित होता है।