नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश चुनाव के नतीजों से जहां एक ओर भाजपा में हर्ष व्याप्त है तो दूसरी तरफ सपा-कांग्रेस तथा बसपा नेताओं को सांप सूंघ गया है। इन चुनावों के नतीजों के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं और इन नतीजों से देश की राजनीति में अपना प्रभाव रखने वाले बहुत से दिग्गजों का भविष्य भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगा।
मोदी को होगा सबसे ज्यादा फायदा : विधानसभा चुनावों का सबसे ज्यादा फायदा यदि किसी को होगा तो वे हैं नरेन्द्र मोदी। अब वे अपने फैसले मजबूत ढंग से रख सकेंगे और वर्ष 2019 में होने वाले आम चुनावों की दशा और दिशा तय करने में भी समर्थ होंगे। इन परिणामों से राष्ट्रपति़ और उप-राष्ट्रपति चुनाव में भी सत्ताधारी गठबंधन को काफी मदद मिलेगी।
अखिलेश को सबसे बड़ा नुकसान : इसका सबसे बड़ा नुकसान अखिलेश यादव को उठाना पड़ सकता है। चाचा शिवपाल यादव खेमा और उनकी सौतेली मां साधना यादव के आक्रामक हमले भी अब उन्हें झेलने होंगे। उन्हें हार के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया जाएगा और यह भी कहा जाएगा कि राजनीतिक अपरिपक्वता के कारण उन्होंने कांग्रेस से समझौता कर इतनी अधिक सीटें दे डालीं और अपनी चुनावी संभावनाओं को ही धूमिल कर दिया।
नेताजी के कमजोर कंधों पर एक बार फिर सपा का भार : इस राजनीतिक उथलपुथल का एक संभावित असर यह भी हो सकता है कि समाजवादी पार्टी की बागडोर एक बार बुजुर्ग हो चुके नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव के कंधों पर आ जाए। पारिवारिक कलह के दौरान मुलायम ने कहा भी था कि इस पार्टी को उन्होंने और शिवपाल यादव ने खून-पसीने से सींचकर बनाया है। यह भी संभव है कि समाजवादी पार्टी दो फाड़ हो जाए और एक खेमे की कमान शिवपाल यादव संभालें।
मायावती की ताकत पर प्रश्नचिन्ह : यूपी के चुनाव परिणामों के असर से बसपा सुप्रीमो मायावती भी अछूती नहीं रहेंगी। इस चुनाव में बसपा को जितनी सीटें मिली हैं, उससे साफ जाहिर हो रहा है कि अपने परंपरागत दलित वोट बैंक पर उनकी पकड़ अब पहले की तरह मजबूत नहीं रही। साथ ही इस हार के बाद उनका कद छोटा हो जाएगा।
राहुल की नेतृत्व क्षमता पर सवाल : कांग्रेस की इस हार के बाद पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की राजनीतिक क्षमताओं को लेकर भी सवाल उठना स्वाभाविक है। हालांकि पार्टी के भीतर ऐसा संभव नहीं है मगर कांग्रेस में एक बार फिर 'प्रियंका लाओ, कांग्रेस बचाओ' का समूह गान शुरू हो सकता है।