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सरोजनी नगर और लखनऊ कैंट सीट के चुनाव पर लगी हैं निगाहें

हमें फॉलो करें सरोजनी नगर और लखनऊ कैंट सीट के चुनाव पर लगी हैं निगाहें
लखनऊ। उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में यूं तो राज्य विधानसभा की 9 सीटें हैं लेकिन लोगों की निगाहें खासतौर पर सरोजनी नगर और लखनऊ कैंट क्षेत्र पर लगी हुई हैं।
लखनऊ कैंट क्षेत्र से समाजवादी पार्टी (सपा) संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव चुनाव लड़ रही हैं। उनके खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की पुत्री रीता बहुगुणा जोशी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार हैं। इन दोनों की वजह से लखनऊ कैंट सीट की लड़ाई काफी रोचक हो गई है।
 
सरोजनी नगर क्षेत्र से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चचेरे भाई अनुराग यादव चुनाव मैदान में हैं। उन्हें भाजपा से निलंबित दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह से कड़ी टक्कर मिल रही है। सिंह अपने पति और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती के विवाद की वजह से अचानक सुर्खियों में आ गईं। उन्हें बसपा अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोलने के इनाम में भाजपा ने सरोजनी नगर से प्रत्याशी बना दिया।
लखनऊ की सभी 9 सीटों पर आमतौर पर भाजपा और सपा में मुकाबला देखा जा रहा है लेकिन कुछ सीटों पर इन दोनों पार्टियों को बसपा से कड़ी टक्कर मिल रही है। लखनऊ कैंट सीट से बसपा के योगेश दीक्षित चुनाव मैदान में हैं लेकिन पार्टी के पारपंरिक और कुछ सजातीय वोटों के अलावा अन्य मतदाताओं का उन्हें समर्थन मिलने की कम उम्मीद है।
 
लखनऊ में चुनाव के तीसरे चरण 19 फरवरी को मतदान होगा। लखनऊ कैंट क्षेत्र में मुकाबला रोचक है। वहां मुलायम सिंह यादव, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिम्पल यादव सपा प्रत्याशी अपर्णा यादव के पक्ष में प्रचार कर चुकी हैं। इनकी सभाओं में श्रोताओं की संख्या ठीक-ठाक देखी गई। मुलायम सिंह यादव ने इस क्षेत्र के चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ते हुए मतदाताओं से अपील की कि इस सीट पर हमारी इज्जत दांव पर लगी हुई है। अपर्णा को जिता देना।
 
लखनऊ कैंट क्षेत्र की दोनों प्रत्याशियों का पारिवारिक तार उत्तराखंड से जुड़ा हुआ है। 50 हजार से अधिक मतदाता उत्तराखंड के मूल निवासी हैं। इन मतदाताओं के सामने दिक्कत है कि दोनों उत्तराखंड से संबंध रखने वाली इन दोनों उम्मीदवारों में से वे किसका चयन करें? इस क्षेत्र में 80 हजार सिख और पंजाबी तथा 40 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। वर्ष 2012 के चुनाव में जीतीं जोशी ने हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। वे कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
 
सरोजिनी नगर क्षेत्र की चुनावी लड़ाई को पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ला ने रोचक बना दिया है। शुक्ल का टिकट समाजवादी पार्टी ने काट दिया था। टिकट कटने से नाराज शुक्ल राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के उम्मीदवार बन गए। शुक्ल के चुनाव लड़ने की वजह से सपा उम्मीदवार और बदायूं के सांसद धर्मेन्द्र यादव के बड़े भाई अनुराग यादव को मेहनत थोड़ी बढ़ानी पड़ी। सरोजनी नगर क्षेत्र से निर्दलीय रुद्रदमन सिंह भी चुनाव जीतने की जी-तोड़ कोशिश में लगे हैं लेकिन उन्हें मिलने वाला वोट ज्यादातर भाजपा का ही हो सकता है।
 
लखनऊ मध्य सीट से गठबंधन के दोनों दलों सपा और कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। सपा से कैबिनेट मंत्री रविदास मेहरोत्रा और कांग्रेस के मारुफ खान दोनों लड़ रहे हैं, हालांकि मारुफ खान ने पर्चा वापस लेने की पार्टी की अपील को भी ठुकरा दिया। इस सीट पर भाजपा के बृजेश पाठक और बसपा के राजीव वास्तव भी विधानसभा में जाने की जुगत में हैं।
 
लखनऊ उत्तरी सीट से राज्य के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अभिषेक मिश्रा को भाजपा के नीरज बोरा से कड़ी टक्कर मिल रही है। बोरा 2012 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट चुनाव लड़े थे और मिश्रा से मात्र 2,219 मतों से पराजित हुए थे। इस बार भी इन्हीं दोनों में सीधा मुकाबला माना जा रहा है।
 
लखनऊ पूर्वी सीट पर भाजपा के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन के पुत्र आशुतोष टंडन एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। उनके खिलाफ सपा के डॉ. अनुराग भदौरिया और बसपा से सरोज कुमार शुक्ला चुनाव लड़ रहे हैं। डॉ. भदौरिया पहली बार चुनाव मैदान में हैं तथा उन्हें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का खास माना जाता है। इस सीट का 2012 में भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वर्ष 2014 में उनके देवरिया से सांसद चुन लिए जाने के बाद हुए उपचुनाव में आशुतोष टंडन विजयी रहे थे।
 
लखनऊ पश्चिमी सीट पर भाजपा के सुरेश वास्तव और सपा के मोहम्मद रेहान के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। इस सीट पर हालांकि बसपा के अरमान खान भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 2012 के चुनाव में मोहम्मद रेहान ने सुरेश वास्तव को मात दी थी।
 
बख्शी का तालाब सीट पर पूर्व मंत्री नकुल दुबे बसपा के उम्मीदवार हैं। उनकी लड़ाई सपा विधायक गोमती यादव और भाजपा उम्मीदवार अविनाश त्रिवेदी से मानी जा रही है। इस सीट का प्रतिनिधित्व दुबे और यादव विधानसभा में कर चुके हैं। इस बार भी इन्हीं दोनों में सीधी टक्कर मानी जा रही है, हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि दोनों की लड़ाई में त्रिवेदी न कहीं निकल जाएं।
 
लखनऊ में मलीहाबाद और मोहनलालगंज सुरक्षित सीटें हैं। इन सीटों पर अपने प्रतिद्वंदियों को बसपा कड़ी टक्कर दे रही है। मलीहाबाद से सांसद कौशल किशोर की पत्नी जयदेवी भाजपा उम्मीदवार हैं। उनके खिलाफ सपा उम्मीदवार राजबाला, बसपा प्रत्याशी सत्य कुमार गौतम मैदान में हैं। इस सीट पर भाजपा सांसद कौशल किशोर की प्रतिष्ठा दांव पर है। वर्ष 2012 के चुनाव में वे दूसरे नंबर पर थे। सपा की राजबाला ने उन्हें मामूली मतों से पराजित किया था।
 
भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार आरके चौधरी मोहनलालगंज में काफी मजबूत प्रत्याशी माने जा रहे हैं। उन्हें विधानसभा में जाने से रोकने के लिए सपा के अम्बरीश सिंह पुष्कर और बसपा के राम बहादुर एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। (वार्ता)

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