Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

कौशाम्बी की तीनों सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार

Advertiesment
हमें फॉलो करें Uttar Pradesh assembly election 2017
कौशाम्बी। उत्तरप्रदेश राज्य विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के लिए 23 फरवरी को होने वाले चुनाव में कौशाम्बी जिले की तीनों सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष देखा जा रहा है।
जिले की तीनों विधानसभा सीटों के लिए कोई स्थानीय मुद्दे नहीं दिख रहे हैं और न राजनीतिक पार्टियों के घोषणा पत्र का कोई असर दिख रहा है। केवल चुनाव जीतने के लिए जातिगत आंकड़े सहेजने में प्रत्याशी जुटे हुए हैं। 
 
कौशाम्बी जिले में चायल और सिराथू सामान्य जबकि मझंनपुर (सु) सीट है। जिले की तीनों विधानसभा में कुल 10 लाख 90 हजार 201 मतदाता हैं। तीनों विधानसभा क्षेत्र में कुल 41 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
 
सिराथू सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य की साख दांव पर लगी है। कौशाम्बी मौर्य का गृह जिला है और यहां से उनके खासमखास कहे जाने वाले भाजपा प्रत्याशी शीतला प्रसाद पटेल मैदान में हैं।
 
इस सीट पर 2012 में केशव प्रसाद मौर्य हिन्दुत्व कार्ड के सहारे अपनी राजनीतिक पारी शुरू कर विधायक चुने गए थे लेकिन बीच में ही इस सीट से त्यागपत्र देकर केशव प्रसाद 2014 में फूलपुर से सांसद निर्वाचित हो गए थे। सांसद चुने जाने के बाद मौर्य फिर यहां कभी लौटकर नहीं आए जिससे मतदाताओं में इसका बड़ा मलाल है।
 
पटेल क्षेत्र में मिलन डीजे के रूप शुमार में हैं। पटेल बिरादरी के मतों पर पूरा विश्वास होने के कारण अपनी जीत पर पूरा भरोसा बनाए हुए हैं। भाजपा का गणित है कि पिछड़ी जाति (यादव को छोड़कर) एवं सामान्य वर्ग के मतों पर ध्रुवीकरण करके चुनावी वैतरणी पार किया जाए। पटेल को राष्ट्रीय नेतृत्व एवं प्रदेश अध्यक्ष के प्रभाव का भी लाभ मिलने की उम्मीद है।
 
यहां से सपा ने वाचस्पति को अपना उम्मीदवार बतनाया है तो बसपा ने सईदुर रब को। इनके बीच त्रिकोणात्मक चुनावी जंग होना तय माना जा रहा है। वाचस्पति 2014 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के सांसद निर्वाचित हो जाने के बाद रिक्त हुई सीट पर मध्यावधि चुनाव जीतकर विधायक निर्वाचित हुए थे।
 
वाचस्पति की गिनती धन्ना सेठों में की जाती है। इस बार चुनाव में वाचस्पति सपा के परंपरागत मतों के अलावा दलित वर्ग के पासी बिरादरी के मतों को अपने पक्ष में रिझाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। अपने 3 वर्ष के कार्यकाल में वाचस्पति क्षेत्र के विकास में भले ही फिसड्डी रहे हों लेकिन इस बार वे जाति पर दांव लगाकर पुन: चुनाव जीतने की जुगत में हैं। यहां 3 लाख 49 हजार मतदाता हैं।
 
मंझनपुर विधानसभा सीट पर इस बार 6 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं और कुल 3 लाख 77 हजार 632 मतदाता हैं। यह सीट बसपा अभेद्य दुर्ग मानी जाती है। बसपा के अस्तित्व में आने के बाद से लगातार इस सीट पर उसका कब्जा है। कद्दावर नेता इन्द्रजीत सरोज इस सीट पर लगातार 3 बार विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। चौथी बार चुनाव में प्रतिद्वंद्वियों को पटखनी देने के लिए मैदान में उतरे हैं। 
 
सरोज बसपा के परंपरागत मतों को सहेजने के साथ ही मुस्लिम मतों में सेंध लगाने का प्रयास कर रहे हैं। अपने मंत्रित्वकाल में मंझनपुर क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों को मुद्दा बनाकर लोगों के बीच जाकर वोट मांग रहे हैं। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र भी इन्द्रजीत के पक्ष में माहौल बनाने के लिए भी यहां जनसभा कर चुके हैं। 
 
चायल विधानसभा क्षेत्र में 2012 के चुनाव में यहां से बसपा के आशिफ जाफरी चुनाव जीते थे। इस बार पुन: बसपा ने आशिफ जाफरी को चुनाव मैदान में उतारा है। सपा-कांग्रेस गंठबंधन से अल्पसंख्यक वर्ग के तलत अजीम चुनाव मैदान में हैं जिससे अल्पसंख्यक मतों का विभाजन तय माना जा रहा है। 
 
तलत अजीम के चुनाव मैदान में आने से आशिफ जाफरी की राह इस बार काफी कठिन बन गई है। भाजपा से इस सीट पर संजय गुप्ता एवं सपा-कांग्रेस गठबंधन से ही कांग्रेस के ही जिलाध्यक्ष तलत अजीम चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर ही सपा-कांग्रेस गठबंधन‚ बसपा एवं भाजपा के बीच त्रिकोणात्मक मुकाबला है। यहां कुल 3 लाख 63 हजार 309 मतदाता हैं और 19 प्रत्याशी मैदान में हैं। (वार्ता)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कनाडा में शरण लेने के लिए अमेरिका से भागे 22 प्रवासी