लखनऊ। अपने राजनीतिक जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे मुलायम सिंह यादव को बेटे और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से चुनाव आयोग में मिली जबरदस्त शिकस्त के बाद अब राजनीतिक हलकों में लाख टके का सवाल तैर रहा है कि मुलायम का अगला कदम क्या होगा।
ज्यादातर लोगों का मानना है कि मुलायमसिंह यादव अपनी शिकस्त स्वीकार कर हालात से समझौता कर लेंगे। वह समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष के रूप में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मान लेंगे। चुनाव प्रचार भी कर सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों का यह भी कहना है कि मुलायम चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं।
हालांकि, कानून के जानकारों का कहना है कि अधिसूचना जारी होने के बाद न्यायालय चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप शायद ही करे। आमतौर पर चुनावी प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद न्यायालय चुनाव में हस्तक्षेप नहीं करता लेकिन यह मामला पार्टी से जुडा हुआ है इसलिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाए जाने पर वह इसे संज्ञान में ले सकता है।
चुनाव आयोग से सपा के 'आलामालिक' घोषित होने के तत्काल बाद अखिलेश यादव अपने पिता मुलायमसिंह के घर पहुंचे और उनसे आशीर्वाद लिया। मतभेदों को दरकिनार कर उनसे साथ देने का आग्रह किया।
पिता से मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव नेताजी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। नेताजी का चेहरा समाजवादी पार्टी की पहचान है। नेताजी के नेतृत्व में फिर सरकार बनेगी। कार्यकर्ता संयम बनाए रखें और अपने क्षेत्रों में जाकर चुनाव की तैयारी करें ताकि दोबारा सरकार बन सके। अब देखना यह है कि चुनाव घोषणा पत्र जारी होते समय मुलायमसिंह रहते हैं या नहीं। (वार्ता)