उत्तरप्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर महासंग्राम शुरू हो गया है। इस बार विपक्ष व किसान तीन कृषि बिल संशोधन को लेकर चुनावी रणनीति तैयार कर रहे हैं। पश्चिमी उत्तरप्रदेश में कृषि बिल को लेकर भारतीय किसान यूनियन से भारतीय जनता पार्टी के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। तीन दिन पहले किसानों की राजधानी सिसौली में भाजपा विधायक उमेश मलिक को किसानों के विरोध का सामना करते हुए दुम दबाकर भागना पड़ा था। सरकार के मंत्री संजीव बालियान साख बचाने के लिए थाने पहुंचे और 9 किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
मुकदमा दर्ज होने के बाद किसानों में आक्रोश पैदा हो गया और बीकेयू के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने ऐलिन कर दिया कि नामजद की गिरफ्तारी से पहले उनकी गिरफ्तारी होगी। वहीं मंत्री संजीव बालियान ने पुलिस को नसीहत दी कि वे कानून राज स्थापित करें, अन्यथा बीच से हट जाएं। किसान और मंत्री बालियान के वाकयुद्ध के बाद अब सरकार और किसान आमने-सामने खड़े हुए नजर आ रहे हैं।
मुजफ्फरनगर में बीते कल यानी मंगलवार को भारतीय किसान यूनिन की मासिक पंचायत में भाजपा सरकार के मंत्री संजीव बालियान को नरेश टिकैत की तरफ से आदेश दिया गया है कि किसानों और विधायक के बीच हुई तनातनी को जल्दी ही खत्म करवाएं, अन्यथा परिणाम सुखद नहीं होगा। अगर एक भी शब्द फालतू भी जबान निकाला तो शहर में पैर नहीं टिकने देंगे किसान, क्योंकि मुजफ्फरनगर ने संजीव बालियान को वोट दे रखा है इसलिए वे अपनी म्यान में ही रहें और पैरों से चलें, उड़ने की कोशिश नहीं करें संजीव बालियान। संजीव बालियान को गांव ने वोट दे रखा है।
सिसौली पंचायत में आगामी 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत की तैयारी की बात चल रही थी। इसी बीच बीजेपी विधायक हमले के मामले में दर्ज हुई रिपोर्ट पर भी खूब भाषणबाजी हुई। इस मामले को लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने मंच से बोलते हुए जहां संजीव बालियान को कहा कि सलाह नहीं, आदेश देते हैं कि बालियान होने के नाते कि या तो वे इस मामले को निपटा लें, वरना अगर अगर मुंह से एक जुबान भी निकालने की कोशिश की तो शहर में पैर भी नहीं टेक सकते हैं और इन पैरों पर चल लें, उड़ें न ज्यादा। वहीं नरेश टिकैत ने मंच से दंभ भरते हुए कहा कि आज हम (किसान) सब कुछ हैं, जो चाहे वो कर सकते हैं इसलिए जिसने किसानों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करवाई है, उसे इज्जत से बैठा लो। इस प्रकरण में किसानों की गिरफ्तारी संभव नहीं है, चाहे जो कर लो।
विधायक की गाड़ी पर कालिख और पथराव प्रकरण के बाद नरेश टिकैत ने मंत्री संजीव बालियान और विधायक उमेश मलिक के गांव में आने से रोक लगाने के मामले में सफाई देते हुए कहा कि किसानों में तीन कृषि कानून को लेकर गुस्सा है, इसलिए कोई अनहोनी न हो जाए, इस वजह से गांव में आने से परहेज करने को कहा गया था। हम नहीं चाहते कि सरकार के नुमाइंदों का किसी वजह से विरोध हो और गांव की शांति भंग हो।
नरेश टिकैत ने कहा कि 5 सितंबर को होने वाली महापंचायत में दूरदराज के राज्यों से किसान शिरकत करने आ रहे हैं। सिसौली के किसानों के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी उनके अतिथि सत्कार और सम्मान की है। इस महापंचायत में ऐसा कुछ नहीं हो जिससे बदनामी हो। किसानों को लेकर कोई जबर्दस्ती नहीं है, बस किसान हित की बात होनी चाहिए। हम किसानों की लड़ाई लड़ रहे हैं, यह तो जिम्मेदारी है और इसमें पुलिस-प्रशासन पर कोई दबाव नहीं है। अगर समझौते पर न मान रहे हो तो उसे खींचकर लाएंगे। अगर एक सिसौली पर इतनी बात आ रही है तो या तो सम्मान से मानें, नहीं तो खींचकर ले आएंगे। विधायक की लापरवाही है, उन्हें ज्यादा पनाह दी जा रही है और वे इस तरह की घटना को अंजाम दे रहे हैं। जहां गांव की एकता और अखंडता को खत्म करने की बात है, वे बौखला गए हैं। हमने किसी का विरोध नहीं किया, हमने तो सिर्फ यही बात कही है कि दिल्ली में धरना चल रहा है गाजी बॉर्डर पर, सिंधु बॉर्डर पर तो यह यहां कम आएं। यदि गांव में आना ही है तो दु:ख-सुख में ही शामिल हों।