सफ़ीना अंसारी
हमने मनाई ईद यहाँ पर, तुमने मनाई दीवाली
देश में पंद्रह अगस्त लाया, सबके वास्ते ख़ुशहाली
गंगा बहती थी पहले भी, लेकिन जल अपना न था
बाग़ तो था पहले भी लेकिन, बाग़ काफल अपना न था
अब हम देश के मालिक भी हैं, अब हम देश के हैं माली
देश में --------
अँग्रेज़ों ने ज़ुल्म किए थे, हम सब को तड़पाया था
धूप ग़ुलामी की पैली थी, हर पत्ता मुरझाया था
आज़ादी की हवाचली तो, झूम उठी डाली-डाली
देश में --------
हमने मनाई ईद यहाँ पर, तुमने मनाई दीवाली
देश में पंद्रह अगस्त लाया सबके वास्ते