- दिलावर फ़िगार
दि नेशन टाक्स इन उर्दू, दि पीपुल फ़ाइट इन उर्दू
डियर रीडर देट इज़ व्हाइ, आइ राइट इन उर्दू
न हो जब हार्ट इन दि चेस्ट तो फिर टंग इन दि माउथ क्यों
टु ब्युटिफ़ाय धिस लाइन, थ्रो सम लाइट इन उर्दू
पोइटरी की नशिश्तें, कल्चरल शो ही सही लेकिन
पलीज़ ऎ साहेबान-ए-दिल मुझे इंवाइट इन उर्दू
मेरी नज़्मों का ये मजमूआ है पब्लिश्ड उर्दू में
दियरफोर आइ वुड लाइक ऎ कापी राइट इन उर्दू
दियर शुड बी यक़ीनन नो मिलावट इन दि लिटरेचर
दियरफोर आइ नेवर काल शब को नाइट इन उर्दू
फ़िगार इस नज़्म में तेरी ज़ुबाँ उर्दू हो आर इंग्लिश
मगर लिक्खे हैं तूने क़ाफ़िए क्या टाइट इन उर्दू
ग़ज़ल----- दिलावर फ़िगार
मुशाएरे के लिए क़ैद तरहा की क्या है
ये इक तरह की मशक़्क़त है शायरी क्या है
जो चाहते हैं कि मैं तरहा में ग़ज़ल लिक्खूँ
उन्हें खबर ही नहीं मेरी पॉलिसी क्या है
ग़ज़ल की श्क्ल बदल दी है ऑपरेशन से
सुखनवरी है अगर ये तो सरजरी क्या है
मैं जब ग़ज़ल में गुलिस्ताँ का ज़िक्र करता हूँ
वो पूछते हैं गुलिस्ताँ की फ़ारसी क्या है
ग़ज़ल जो तरहा में लिक्खी है किस तरह लिक्खी
ये पूछने की किसी को अथारिटी क्या है
मेरी ग़ज़ल में तखल्लुस किसी का फ़िट करदो
तखल्लुसोँ की भी इस शहर में कमी क्या है
नज़्म ---झूठ,---शायर, दिलावर फ़िगार
झूठ अपनी ज़िन्दगी में जब से शामिल हो गया
ज़िन्दगी मुश्किल ही थी मरना भी मुश्किल हो गया
सच बना देती है झूठे केस को झूठी दलील
एक झूठा दूसरे झूठे को करता है वकील
केस झूठा, मुद्दई झूठा, अदालत क्या करे
लाएयर लायर बने, खाली वकालत क्या करे
झूठ के पुल बांधते हैं इस तरह इनजीनियर
तुम मेरे दिल को डियर हो, तुम मेरे दिल से नियर
लब पे ये है तुम परी चेहरा हो, रश्क-ए-हूर हो
दिल में ये है तुम तो इक तजवीज़-ए-नामंज़ूर
लब पे ये है आपका चेहरा नहीं होता मलूल
दिल में ये है आपका चेहरा है या गोभी का फूल
लब पे ये है बेठिए साहब कई दिन बाद आए
दिल में ये है काश ये कम्बख्त फ़ौरन भाग जाए
एक दिन जब झूट का मतलब समझ में आएगा
मेरा दावा है कि मेरा झूठ सच बन जाएगा