शहर के हाकिम से हो जिस आदमी की दोस्ती
क्यूँ न दे वो आदमी झूठी गवाही बार-बार
--- हमीद गोहर
रज़ा को पहले लिखूँ अम्न का पयामी फिर
हूईं जो नाम पे उसके लड़ाइयाँ लिख दूँ
---कालीदास गुप्ता रज़ा
जहन्नुम हो के जन्नत जो भी होगा फ़ैसला होगा
ये क्या कम है हमारा और उनका सामना होगा
---जिगर मुरादाबादी
अपनों ने मेरी नाव में सूराख़ कर दिए
तेरा करम जो मुझको किनारे उतार दे
---डॉ. अशफ़ाक़ अंजुम
मानिन्दे बर्क़, मिस्ले हवा, सूरते निगाह
अक्सर निकल गए हैं वो मेरे क़रीब से
---दाग़
तेरे क़दमों की आहटें पाकर
मेरा मिट्टी का घर हुआ है फूल
---सलीम अंसारी
हमने हँस-हँस के तेरी बज़्म में ऐ पैकरे नाज़
कितनी आहों को छुपाया है तुझे क्या मालूम
---मजरूह सुल्तानपुरी
इंसाफ़ जहाँगीरे ज़माना से मिले क्या
सच कहने की हिम्मत ही गवाहों में नहीं है
---अज़ीज़ अंसारी
उठते हुए लमहात को यूँ अपना बना लें
इक लम्हा भी हाथ से न छूटे ऐ दोस्त
----अख़तरुल ईमान
कुछ ज़ख़्म ही खाएँ चलो कुछ गुल ही खिलाएँ
माना के बहारों का ये मौसम तो नन्हीं है
---मजरूह
राशिद किसे सुनाते गली में तेरी ग़ज़ल
उसकी गली का कोइ दरीचा खुला न था
---मुमताज़ राशिद
कौन है अफ़ज़ल आने वाला
किस का रस्ता देख रहा हूँ
---अफ़ज़ल जोधपुरी
धूप सबज़े की चादर पे बैठी रही
ज़र्रे सूरज से आँखें मिलाते रहे
---नुसरत ग्वालियरी
जिसकी फ़ुरक़त ने पलट दी इश्क़ की काया फ़िराक़
आज उस ईसा नफ़स दमसाज़ की बातें करो
---फ़िराक़
तलाक़ दे तो रहे हो ग़ुरूर ओ कहर के साथ
मेरा शबाब भी लौटा दो मुझको मेहर के साथ
---नामालूम
हूँ न पागल अपने दुखों को
तेरे सुखों से तौल रहा हूँ
---कालीदास गुप्ता रज़ा
बज़ाहिर तो यहाँ धड़कन बहुत है
मगर इस दिल में सूनापन बहुत है
----नामालूम
जंग और मोहब्ब्त में हर बात रवा लेकिन
ईसार ओ वफ़ादारी दस्तूर हमारे हैं
---अज़ीज़ अंसारी
धनक के रंग हों, गुल हों, शफ़क़ हो
तुम्हारे सामने हर रंग फीका
---परवेज़
ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे
ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे
---ग़ालिब
पहले रोज आता जाता था लेकिन सईद अब
ग़म ने मुक़ाम सीने के अन्दर बना लिया
---सईद अख्तर
वो राह सुझाते हैं हमें हज़रत ए रेहबर
जिस राह पे उनको कभी चलते नहीं देखा
---अर्श मलसियानी
मैं अपने बचपन में फिर से लौट जाता हूँ
मेरी आँखों में जब बच्चों की नादानी चमकती है
---सलीम अंसारी
हमारी चाहतें सच हैं मगर हालात का दरिया
मुझे इस पार रखता है तुझे उस पार रखता है
---फ़रहान हनीफ़
राह देखा करेगा बरसों तक
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा
---मीना कुमारी
अँधेरे दिल से मिटाओ तो कोई बात बने
वफ़ा के गीत सुनाओ तो कोई बात बने
---ग्यास सिद्दीक़ी
ख़त्म होता ही नहीं तेरे करम का सिलसिला
फिर तू आख़िर किसलिए सुनता नहीं मेरी पुकार
--- अज़ीज़ अंसारी
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