* तोहीन-ए-इश्क़ देख न हो ऎ जिगर न हो
हो जाए दिल का खून मगर आँख तर न हो
* मेरा कमाल-ए-श'र बस इतना है ऎ जिगर
वो मुझ पे छा गए मैं ज़माने पे छा गया
* अल्लाह अगर तौफ़ीक़ न दे इंसान के बस का काम नहीं
फ़ैज़ान-ए-मोहब्बत आम सही, इरफ़ान-ए-मोहब्बत आम नहीं
* वो अदा-ए-दिलबरी हो, कि नवा-ए-आशिक़ाना
जो दिलों को फ़तहा करले वही फ़ातेह-ए-ज़माना
* क्या कशिश हुस्न-ए-बेपनाह में है
जो क़दम है उसी की राह में है
* बहुत हसीन सही सोहबतें गुलों की मगर
वो ज़िन्दगी है जो कांटों के दरमियाँ गुज़रे
* आँखों में नूर, जिस्म में बन कर वो जाँ रहे
यानी हमीं में रेह के वो हम से निहाँ रहे
* शब-ए-फ़िराक़ है और नींद आई जाती है
कुछ इस में उनकी तवज्जो भी पाई जाती है
* आई है मौत मंज़िल-ए-मक़सूद देख कर
इतने हुए क़रीब के हम दूर हो गए
* बाद मरने के भी क़रार नहीं
मर्ग-ए-नाकाम इस को कहते हैं
* जहाँ वो हैं वहीं मेरा तसव्वुर
जहाँ मैं हूँ ख्याल-ए-यार भी है
* नहीं जानते कुछ कि जाना कहाँ है
चले जा रहे हैं मगर जाने वाले
* जान ही दे दी जिगर ने आज पा-ए-यार पर
उम्र भर की बेक़रारी को क़रार आ ही गया
* सब पे तू मेहरबान है प्यारे
कुछ हमारा भी ध्यान है प्यारे
* तू जहाँ नाज़ से क़दम रख दे
वो ज़मीं आसमान है प्यारे
* होती ही नहीं कम शब-ए-फ़ुरक़त की सियाही
रुखसत हुई क्या शाम के हमराह सहर भी
* दर्द-ओ-ग़म दिल की तबीयत बन चुके
अब यहाँ आराम ही आराम है
* तूल-ए-ग़म-ए-हयात से घबरा न ऎ जिगर
ऎसी भी कोई शाम है जिस की सहर न हो
* सभी अन्दाज़-ए-हुस्न प्यारे हैं
हम मगर सादगी के मारे हैं
* उनका जो फ़र्ज़ है वो एहल-ए-सियासत जानें
मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुंचे
* सय्याद ने लूटा था अनादिल का नशेमन
सय्याद का लुटता हुआ घर देख रहा हूँ
* उस ने शानों पे ज़ुल्फ़ बरहम की
खैर यारब निज़ाम-ए-आलम की
* ये इश्क़ नहीं आसाँ बस इतना समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
* वफ़ा का नाम कोई भूल कर नहीं लेता
तेरे सुलूक ने चौंका दिया ज़माने को
* दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद
अब मुझको नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद
* जान कर मिनजुम्ला-ए-खासान-ए-मयखाना मुझे
मुद्दतों रोया करेंगे जाम-ओ-पैमाना मुझे
* यूँ ज़िन्दगी गुज़ार रहा हूँ तेरे बग़ैर
जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
* दिल को सुकून रूह को आराम आ गया
मौत आ गई कि यार का पैग़ाम आ गया