ताईद ए ग़ज़ल के बारे में दो-चार इशारे क्या कम हैं
नौ लम्बी-लम्बी नज़्मों से नौ शे'र हमारे क्या कम हैं -शाद आरफ़ी
ग़ज़ल कहनी न आती ठीक तो सौ सौ शे'र कहते थे
मगर इक शे'र भी ऐ मीर अब मुश्किल से होता है -मीरतक़ी मीर
बुरी नहीं है मुज़फ़्फ़र कोई भी सिंफ़ ए सुखन
क़लम ग़ज़ल के असर में रहे तो अच्छा है -मुज़फ़्फ़र हनफी
जो शख़्स मुद्दतों मेरे शैदाइयोँ में था
आफ़त के वक़्त वो भी तमाशाइयोँ में था -शकीला बानो
मर कर भी दिखा देंगे तेरे चाहने वाले
मरना कोई जीने से बड़ा काम नहीं है -शकीला बानो
मेरा दिल कुछ मुझे समझा रहा है
मैं कुछ दिल को नसीहत कर रहा हूँ -शे'री भोपाली
ये इलतिफ़ात ए खास, ये पेहम नवाज़िशें
जैसे हक़ीक़तन वो मेरे ग़मगुसार हैं -नमालूम
तू शाहीं है, परवाज़ है काम तेरा
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं -इक़बाल
चुल्लू भर में मतवाली, दो ही घूँट में खाली
ये भरी जवानी क्या, जज़्बाए लबालब क्या -यगाना चंगेज़ी
तुझे भूल जाना तो है ग़ैरमुमकिन
मगर भूल जाने को जी चाहता है -जिगर
तबीयत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में
तो ऐसे में तेरी यादों की चादर तान लेते हैं -फ़िराक़
शाम भी ठीक धुआँ-धुआँ दिल भी था उदास-उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं -फ़िराक़
खंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम अमीर
सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है -अमीर मीनाई