* अन्दाज़ कुछ अलग ही मेरे सोचने का है
मंज़िल का सब को शौक़ मुझे रास्ते का है
* तुम से मिलकर भी लोग थे मायूस
और बिछड़ कर भी हाथ मलते हैं
* वो जब आए तो मेरा हाल न देख
और चला जाए तब मिज़ाज न पूछ
* रहती है छाँव क्यों मेरे आँगन में थोड़ी देर
इस जुर्म पर पड़ोस का वो पेड़ कट गया
* तुम्हारे बारे में इक बात मैंने पूछी थी
न एहले-होश ही समझा सके न दीवाने --- होश वाले
* लोग कुछ और रंग दे देंगे
कोई नेकी भी बरमला* न करो ---- सबके सामने
* कुछ तो मौक़ा परस्त हैं हम भी
और कुछ वक़्त की ज़रूरत है
* आग में कौन कूद सकता है
हाँ! मगर तेरे चाहने वाले
* हर बार यूँ मिले के कोई बात रह न जाए
हर बार यूँ हुआ के कोई बात रह गई
* ये क्या कहा के मेरे आस-पास कोई नहीं
कोई नहीं है तो फिर किससे बात करता हूँ