'हुई मुद्दत कि ग़ालिब
मर गया पर याद आता है
वो हर इक बात पर कहना कि
यूँ होता तो क्या होता।'
ग़ालिब को याद करने की वजह ये है कि 27 दिसंबर को तक्षशिला परिसर स्थित विश्वविद्यालय सभागृह में इस अजीम शायर के जीवन से रूबरू कराता नाटक खेला जाएगा। ग़ालिब की सालगिरह पर होने वाले इस नाटक में जाने-माने अभिनेता टॉम अल्टर ग़ालिब की भूमिका में दिखाई पड़ेंगे।
असल में ग़ालिब पर नाटक तो भोपाल में होने जा रहा है और वो भी 26 दिसंबर को, पर जब नेपथ्य नाट्य समूह को यह खबर मिली तो नाट्य साथी 'ग़ालिब' को इंदौर ले आए। 2 घंटे की अवधि के इस नाटक का निर्देशन और स्क्रिप्ट डॉ. एम. सईद आलम की है।
ग़ालिब अपनी जिंदगी का बयान पहली बार उनकी आत्मकथा लिखने वाले मौलाना अल्ताफ हुसैन हाली को देते नजर आएँगे और नाटक की शुरुआत होगी। ग़ालिब की घर और बाहर की जिंदगी, उनकी मोहब्बत और दर्द को इस नाटक में समेटने की कोशिश की गई है। स्टेज पर टॉम के साथ जो लोग नजर आएँगे उनमें नीति फूल, विजय गुप्ता, अंजू छाबड़ा और साथी होंगे।
यह जानकारी देते हुए नेपथ्य के संरक्षक संजीव गवते और अनिल भंडारी कहते हैं कि पेरोज समूह 'ग़ालिब' का मंचन कर रहा है और अभी तक इस समूह के नाटक दर्शकों ने काफी पसंद किए हैं। दूरभाष पर हुई चर्चा में नाटक के निर्देशक सईद आलम ने बताया कि यह नाटक सिर्फ ग़ालिब का चरित्र हमारे सामने रखेगा।
इसकी व्याख्या दर्शक पर निर्भर करेगी। उन्होंने बताया कि 'ग़ालिब' सिर्फ डेढ़ दिन में लिखा गया क्योंकि ग़ालिब सालों से दिमाग में थे। श्री आलम कहते हैं कि यह नाटक ग़ालिब की महानता बताने के लिए नहीं बल्कि ग़ालिब को उनकी अच्छाइयों और बुराइयों के साथ दिखाने के लिए खेला जा रहा है।
ग़ालिब अपने विरोधाभासी चरित्र के कारण ही दिलचस्पी पैदा करते हैं। इसलिए उन पर नाटक खेला जा रहा है। इसमें ग़ालिब की जिंदगी के चार पड़ावों से दर्शक रूबरू हो सकेंगे। इंदौर में यह 12वीं बार खेला जाएगा। यह संयोग भी अच्छा है कि 212वीं सालगिरह पर इंदौर में ग़ालिब को देखने का मौका है। नेपथ्य के साथियों के अनुसार आयोजन सभी के लिए खुला है पर प्रवेश सिर्फ आमंत्रण-पत्र द्वारा ही हो सकेगा।