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गालिब के लतीफे

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Aziz AnsariWD
खुदा के सुपुर्द
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जब जनाब युसुफ अली खान का इंतेक़ाल हो गया तो मिर्ज़ा गालिब ताज़ियत के लिए रामपुर गए चन्द रोज़ बाद नवाब क़ल्ब अली खान को गवर्नर से मिलने बरेली जाना पड़ा- उनकी रवानगी के वक़्त गालिब भी वहाँ मोजूद थे- चलते वक्त नवाब साह्ब ने कहा खुदा के सुपुर्द - गालिब ने फौरन कहा कि हज़रत खुदा ने तो मुझे आपके सुपुर्द किया था, आप फिर उलटा मुझे खुदा के सुपुर्द करते हेँ

बूढ़े को माँ की गाली
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गालिब को उनके हासिद अक्सर फहश ख़त लिखा करते थे- किसी ने एक ख़त में गालिब को माँ की गाली लिखी- पढ़कर गालिब मुस्कुराए
और कहने लगे - उल्लू को गाली देना भी नहीं आती - बूढ़े या अधेड़ उम्र के लोगों को बेटी की गाली देते हैं - ताके उसको गैरत आए-
जवान को जोरू कि गाली देते हे क्योंकि उसको जोरू से ज़्यादा लगाव होता है बच्चे को माँ की गाली देते हैं कि वो माँ के बराबर किसी से मानूस नहीं होता- यह पागल तो 72 साल के बूढ़े को माँ की गाली देता है, इससे ज्यादा कौन बेवक़ूफ होगा-

मुज़क्कर-- मोअन्नस
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रथ को दिल्ली मे बाज़े मोअन्नस और बाज़े मुज़क्कर बोलते हे- किसी ने ग़ालिब से पूछा हज़रत रथ मोअन्नस हे या मुज़क्कर -
गालिब ने कहा भैया जब औरते बैठी हो तो मोअन्नस और जब मर्द बैठे हों तो मुज़क्कर समझो।

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