Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मीर तक़ी मीर

हमें फॉलो करें मीर तक़ी मीर
Aziz AnsariWD
जब कभी हुकूमतें बदलती हैं तो सज़ाएँ ग़रीबों को ज़्यादा मिलती हैं। मैं बात आज की नहीं कर रहा हूँ। आज तो वोट के ज़रिए हुकूमतें बदल जाती हैं। लेकिन कुछ सौ साल पहले तक ऐसा नहीं होता था। उस दिनों जंग-ओ-जदाल हुआ करते थे और हज़ारों और लाखों बेगुनाहों का ख़ून बहा कर तख़्त-ओ-ताज हासिल किया जाता था।

सन 1700 ईस्वी का दौर भी कुछ ऎसा ही दौर था। मीर तक़ी मीर की पैदाइश इसी दौर यानी 1722 में अकबराबाद (आगरा) में हुई। मीर का पूरा खानदान बहुत ग़रीब था। बड़ी मेहनत और जाँफ़िशानी से जो कुछ साज़-ओ-सामान जमा किया जाता था वो सब उस वक़्त लुट जाया करता था जब किसी बेरूनी बादशाह का हमला शहर पर होता था। मीर को भी ऎसे हालात का सामना बार बार करना पड़ा।

इन्हीं परेशानियों में आगरा से दिल्ली आए और एक रिश्तेदार के घर पनाह मिली। यहीं इन्हें ज़ुबान-ओ-अदब सीखने का भी मौक़ा मिला। कुछ अच्छे शायरों की सोहबत भी मिली जिससे इनकी शायरी का ज़ौक़ परवान चढ़ा। मीर की घरेलू हालत बद से बदतर होती जा रही थी लेकिन शे'र-ओ-अदब का ख़ज़ाना रोज़-ब-रोज़ बढ़ता जा रहा था। रफ़्ता-रफ़्ता मीर ने वो मक़ाम शायरी में हासिल कर लिया कि ग़ालिब जैसे शायर को भी कहना पड़ा कि

रेख़ती के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो ग़ालिब
कहते हैं अगले ज़माने में कोई मीर भी था

उर्दू के इस अज़ीम शायर का इंतिक़ाल सन 1810 में लखनऊ में हुआ। आज हम यहाँ उनकी दो ग़ज़लें पेश कर रहे हैं।

1. मुँह तका ही करे है जिस-तिस का
हैरती है ये आईना किस का

शाम से कुछ बुझा सा रहता है
दिल हुआ है चराग़ मुफ़लिस का

फ़ैज़ अय अब्र चश्म-ए-तर से उठा
आज दामन वसीअ है इसका

ताब किसको जो हाल-ए-मीर सुने
हाल ही और कुछ है मजलिस का

कठिन शब्दों के अर्थ
हैरती---चकित, ताज्जुब में, मुफ़लिस---ग़रीब आदमी
फ़ैज़----लाभ, फ़ायदा, चश्म-ए-तर ---आंसू बहाती हुई आँख
अब्र---बादल, वसीअ-----फैला हुआ, विशाल
ताब--- ताक़त, फ़ुरसत, मजलिस---- महफ़िल, सभा

2. राहे-दूरे-इश्क़ से रोता है क्या
आगे-आगे देखिए होता है क्या

सब्ज़ होती ही नहीं ये सरज़मीं
तुख़्मे-ख़्वाहिश दिल में तू बोता है क्या

क़ाफ़िले में सुबह के इक शोर है
यानी ग़ाफ़िल हम चले सोता है क्या

ग़ैरते-युसुफ़ है ये वक़्ते-अज़ीज़
मीर इसको रायगाँ खोता है क्या

कठिन श्ब्दों के अर्
राहे-दूरे-इश्क़----- इश्क़ के लम्बे रास्ते
सब्ज़-----हरी, सरज़मीं-----धरती
तुख़्मे-ख़्वाहिश -----इच्छाओं के बीज
वक़्ते-अज़ीज़------बहूमूल्य समय
रायगाँ------फ़िज़ूल--बेकार---व्यर्थ

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi