Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

ग़ज़ल : मोईन हसन जज़बी

Advertiesment
हमें फॉलो करें ग़ज़ल  मोईन हसन जज़बी
, बुधवार, 16 अप्रैल 2008 (15:35 IST)
शरीक-ए-मेहफ़िल-ए-दार-ओ-रसन कुछ और भी हैं
सितमगरो, अभी एहल-ए-कफ़न कुछ और भी हैं

रवाँ दवाँ युहीं ऎ नन्ही बूंदियों के अब्र
कि इस दयार में उजड़े चमन कुछ और भी हैं

खुदा करे न थकें हश्र तक जुनूं के पाँव
अभी मनाज़िर-ए-दश्त-ओ-दमन कुछ और भी हैं

अभी समूम ने मानी कहाँ नसीम से हार
अभी तो मआरकाहा-ए-चमन कुछ और भी हैं

अभी तो हैं दिल-ए-शायर में सैकड़ों नासूर
अभी तो मोजज़ाहा-ए-सुखन कुछ और भी हैं

दिल-ए-गुदाज़ ने आँखों को दे दिए आँसू
ये जानते हुए ग़म के चलन कुछ और भी हैं

2.
मरने की दुआएँ क्यूँ माँगूँ, जीने की तमन्ना कौन करे
ये दुनिया हो या वो दुनिया, अब ख्वाहिश-ए-दुनिया कौन करे

जब कश्ती साबित-ओ-सालिम थी, साहिल की तमन्ना किसको थी
अब ऐसी शिक्स्ता कश्ती पर, साहिल की तमन्ना कौन करे

जो आग लगाई थी तुमने, उसको तो बुझाया अश्कों ने
जो अश्कों ने भड़काई है, उस आग को ठंडा कौन करे

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi