उसके करम1 की बात न पूछो वो सबके होले है
इक दरवाजा बंद, अगर हो सौ दरवाजे खोले हैं
उसकी वाणी लहरों में है, झरनों में हैं उसके बोल
उसके ध्यान में डूबके देखो, कानों में रस घोले है
गोल चमकती रोटी तुमको, कल मैं सवेरे भेजूंगी
चांद की बूढ़ी दादी भूखे बच्चों से ये बोले है
उसको धोखा दोगे कैसे हल्का भारी सब जाने
लेके तराजू धूप-छांव की शाम सवेरे तोले हैं
दिल की आंखें खोल के ढूंढो तब तुम उसको देखोगे
उसकी खोज में जब मैं निकलूं जर्रा-जर्रा बोले है
कुदरत3 पर इल्जाम धरे और दुनिया को बदनाम करे
अपने लहू4 में अपनी अना5 का जहर6 से इंसां घोले है
उसकी मेरी दुनिया भी तो कितनी प्यारी दुनिया है
मेरे हाथ पे सिर वो रखकर भूखे पेट भी सोले है
रुसवाई की धूल उड़ाए उस पर दुनिया फिर भी 'अजीज'
अपनी आंख के झरनों से वो अपना दामन धोले है
1. कृपा 2. कण-कण 3. प्रकृति 4. रक्त 5. अहम 6. विष
- अजीज अंसारी