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हमीद अनवर

बदल लिए ज़िन्दगी ने तेवर तो क्या करोगे

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1.

Aziz AnsariWD
बदल लिए ज़िन्दगी ने तेवर तो क्या करोग
जो आई क़दमों की धूल सर पर तो क्या करोग

कभी-कभी ख़ुद में झाँक लेना दुरुस्त लेकिन
खुले न दिल के दरीचा ओ दर तो क्या करोग

सवाल करते रहे हो लेकिन सवाल ये ह
जवाब हर ईंट का हो पत्थर तो क्या करोग

जिसे तुम अपना मुहाफ़िज़े जाँ समझ रहे ह
उसी की हो आस्तीं में ख़ंजर तो क्या करोग

सवाल सीधा ये मेरे अपने ज़मीर से ह
तुम्हारा दुश्मन हो तुम से बेहतर तो क्या करोग

तुम अपनी बेसाएगी पे हो मुतमइन तो लेकि
रहा न ये आस्माँ भी सर पर तो क्या करोग

चले हो तुम जिसके पीछे दीवानावार अनव
अगर न देखे तुम्हें वो मुड़कर तो क्या करोग

2.
क्यूँ नज़र बदलते हो मेहरबानियों वाल
लौट के नहीं आती रुत जवानियों वाल

लोग फ़ख्र करते हैं जिनकी ख़ाकसारी प
गुफ़्तगू नहीं की है लनतरानियों वाल

दूर तक यहाँ जब से आपकी हुकूमत है
शहरे दिल की रंगत है राजधानियों वाल

फूल जैसे होठों से बारिशें हों फूलों क
अब कहाँ रुतें ऐसी गुल्फ़िशानियों वाल

शुक्र है मोहब्बत को बख्श दी मेरे रब न
इक ज़बाँ इशारों की बेज़बानियों वाल

झील की तहों में है जाने क्या ख़ुदा जान
देखने में शक्लें हैं सबकी पानियों वाल

मैं उसी के साए में फूल फल गया अनव
माँ ने जो दुआ दी थी कामरानियों वाल


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