- अथर्व पंवार
फुन्सुख वांगडू का नाम सुनते ही हमे 3 इडियट फिल्म के रेंचो की याद आ जाती है। पर आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि यह किरदार एक वास्तविक चरित्र से प्रेरित है और वह चरित्र है भारत के लद्दाख के मशहूर वैज्ञानिक सोनम वांगचुक। वे अपने रचनात्मक विचारों, अविष्कारों और नयी तकनीकों को ईजाद करने के लिए जाने जाते है। पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर वह भारतीय सेना और स्थानीय लोगों की सहायता से अनेक कार्य करते हैं।
उनके अनुसार हम 8 पेड़ लगाकर 2 लाख रूपए बचा सकते हैं। ऑक्सीजन हमारे लिए कितनी आवश्यक है यह हमने कोरोना महामारी में जान लिया था। हम ऑक्सीजन के एक सिलेंडर के लिए मुह मांगा मूल्य भी दे सकते थे । सोचना होगा की ग्लोबल वार्मिंग के कारण जब पृथ्वी पर कार्बन की मात्रा बढ़ जाएगी तब कृत्रिम ऑक्सीजन की कितनी आवश्यकता होगी ! आज हमारे पास ऑक्सीजन के प्राकृतिक संसाधन के रूप में वृक्ष हैं। हमें एक वृक्ष लगाकर और पुरानों का संरक्षण करना चाहिए।
उनके अनुसार कोरोना महामारी के समय ऑक्सीजन का रेट 55 रूपए प्रति किलो था। एक व्यक्ति साल भर में 740 किलो ऑक्सीजन ग्रहण करता है अर्थात लगभग 40000 रूपए की ऑक्सीजन के लग सकते हैं। अगर पांच लोगों के परिवार की बात करें तो 2 लाख रूपए प्रति वर्ष लग सकते हैं। पर एक पेड़ प्रति वर्ष 100 किलो ऑक्सीजन प्रदान करता है और 7-8 पेड़ एक व्यक्ति के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। अर्थात हम 7-8 पेड़ लगाकर हमारे लगने वाले 2 लाख रूपए बचा सकते हैं।
बढ़ती जनसंख्या, घटते संसाधन, कार्बन उत्सर्जन, वृक्षों की कटाई और नए वृक्षों के निर्धारित मात्रा से कम लगाने जैसी समस्याओं के कारण भविष्य में मनुष्य को श्वास की समस्या हो सकती है और उसे कृत्रिम ऑक्सीजन का उपयोग करना पड़ सकता है। इसलिए सोनम वांगचुक सभी भारतियों से अनुरोध करते हैं कि हर व्यक्ति को जीवनकाल में आठ पेड़ लगाना चाहिए और उसकी देखरेख करना चाहिए जिससे हमारे साथ-साथ पृथ्वी का भी भविष्य बचाया जा सके।