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Electricity Services Rules : जानिए एक बिजली उपभोक्ता होने पर क्या हैं आपके अधिकार, मोदी सरकार ने जारी किए नियम

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, मंगलवार, 22 दिसंबर 2020 (17:07 IST)
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बिजली ग्राहकों को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया। इसके तहत नियम जारी कर ग्राहकों को 24 घंटे बिजली (24-Hour Electricity) उपलब्ध कराने और तय समय पर सेवाएं देने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। नियमों के तहत अगर वितरण कंपनियां विद्युत (उपभोक्ता अधिकार) नियम के अंतर्गत मानक सेवा उपलब्ध नहीं कराएंगी, उन्हें जुर्माना देना होगा। 
नियमों के बारे में जानकारी देते हुए बिजली मंत्री आरके सिंह ने कहा कि अब कोई भी ग्राहक ‘बिजली बिना’ नहीं होगा। वितरण कंपनियों को सेवाएं देनी होंगी और अगर वे इसका पालन नहीं करती हैं, जुर्माना देना पड़ेगा। बिजली मंत्रालय के ये नियम ग्राहकों के अधिकार से जुड़े है।
 
वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सिंह ने कहा कि ये नियम विद्युत उपभोक्ताओं को सशक्त बनाएंगे। उन्होंने कहा कि ये नियम इस भरोसे पर आधारित है कि बिजली व्यवस्था उपभोक्ताओं की सेवा के लिए है और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं, विश्वसनीय, गुणवत्तापूर्ण बिजली प्राप्त करने का अधिकार है। 
पारदर्शी और समय नए कनेक्शन का प्रावधान : पूरे देश में वितरण कंपनियां, चाहें सरकारी हो या फिर निजी, का एकाधिकार है जबकि दूसरी तरफ ग्राहकों के पास कोई विकल्प नहीं है, इसीलिए यह जरूरी है कि उपभोक्ताओं के अधिकारों को उल्लेखित करने वाले नियम एवं व्यवस्था स्थापित हो ताकि उसे प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके।
 
नियमों के तहत प्रत्येक वितरण इकाइयों का यह कर्तव्य है कि वे विद्युत कानून के प्रावधानों के अनुरूप किसी मकान के मालिक या वहां रहने वालों के आग्रह पर बिजली आपूर्ति की व्यवस्था करें। नए नियमों के मुताबिक विद्युत आपूर्ति के संदर्भ में ग्राहकों के पास वितरण कंपनियों से न्यूनतम मानक सेवाएं प्राप्त करने का अधिकार है। नियम में पारदर्शी, सुगम और समयबद्ध तरीके से नए कनेक्शन जारी करने और मौजूदा कनेक्शन में सुधार का प्रावधान किया गया है। नियम के मुताबिक विद्युत कनेक्शन के लिये आवेदनकर्ताआ के पास ऑनलाइन आवेदन का विकल्प है।
 
नया कनेक्शन बिना मीटर के नहीं : वितरण कंपनियों को बिजली कनेक्शन या उसमें सुधार का काम महानगरों में अधिकतम सात दिनों में, अन्य नगर पालिका वाले क्षेत्रों में 15 दिनों में और ग्रामीण क्षेत्रों में 30 दिनों में करने होंगे।
 
नियमों के अनुसार कोई भी कनेक्शन बिना मीटर के नहीं दिया जाएगा और मीटर स्मार्ट या पूर्व भुगतान (प्रीपेमेंट) मीटर होगा। मीटर के परीक्षण के साथ खराब, जले हुए या चोरी हुए मीटरों के बदलने का भी प्रावधान है। इसमें उपभोक्ता शुल्क और बिलों के मामले में पारदर्शिता की भी बात कही गयी है।
नियमों के अंतर्गत ग्राहकों के पास ‘ऑनलाइन’ या ‘ऑफलाइन’ बिल भुगतान का विकल्प होगा। इसके अलावा बिलों का पहले से भुगतान का भी प्रावधान किया गया है। इसके अनुसार वितरण कंपनियां सभी ग्राहकों को 24 घंटे भरोसेमंद बिजली देंगी। हालांकि बिजली नियामक कृषि जैसे कुछ श्रेणी के ग्राहकों के लिए कम घंटे की बिजली की व्यवस्था तय कर सकते हैं। 

बिजली बंद होने पर तुरंत बहाली : वितरण कंपनियों को ऐसी व्यवस्था, विशेष रूप से स्वचालित प्रणाली स्थापित करनी होगी जिससे बिजली गुल होने पर नजर रखी जा सके और उसे तुरंत बहाल किया जाए। इसमें ग्राहकों की एक नई श्रेणी भी बनाई गई है जो बिजली भी पैदा करेंगे। इन्हें प्रोज्यूमर कहा गया है। 
 
प्रोज्यूम उपभोक्ता : नियम के अनुसार ये ‘प्रोज्यूमर’ उपभोक्ता का दर्जा बरकरार रखेंगे और उनके पास भी वे अधिकार होंगे, जो दूसरे ग्राहकों के पास होंगे। साथ ही उनके पास छतों पर सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) प्रणाली समेत नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन इकाई लगाने का अधिकार होगा।

इसे वे स्वयं या सेवा प्रदाता के जरिए लगा सकते हैं। नियमों के अनुसार आयोग (बिजली नियामक) वितरण लाइसेंस रखने वाली इकाइयों के लिए कामकाज को लेकर मानक अधिसूचित करेगा। अगर कामकाज से जुड़े मानकों का उल्लंघन होता है, तो ग्राहकों को उसके एवज में हर्जाना देना होगा। जिन सेवाओं में कमी के एवज में वितरण कंपनियों को ग्राहकों को स्वत: हर्जाना देने की जरूरत होगी, उसमें निश्चित अवधि के बाद भी बिजली की आपूति नहीं होना शामिल है। इस बारे में आयोग (नियामक) अधिसूचना जारी कर चीजों को स्पष्ट करेगा। 
 
वितरण कंपनियों के प्रदर्शन का आकलन कनेक्शन के लिए लगने वाला समय, बिजली काटने, उसे जोड़ने, मीटर को दूसरी जगह लगाने, उपभोक्ता श्रेणी में बदलाव, क्षमता बढ़ावाने में लगने वाला समय, खराब मीटर को बदलने में लगने वाला समय, समय पर बिल देना, वोल्टेज संबंधित शिकायतों के समाधान और बिल संबंधी शिकायतों के समाधान में लगने वाले समय के आधार पर की जाएगी। वितरण कंपनियां अगर आयोग द्वारा निर्धारित समय-सीमा में सेवा नहीं देती हैं, उन्हें ग्राहकों को दंडस्वरूप हर्जाना देना होगा।
 
कॉल सेंटर की व्यवस्था : नियमों में व्यवस्था की गई है कि वितरण कंपनियां 24 घंटे सातों दिन काम करने वाले टोल फ्री केंद्रीकृत कॉल सेंटर स्थापित करेंगी। वे सभी सेवाएं साझा ग्राहक संबंध प्रबंधक (सीआरएम) प्रणाली के जरिए उपलब्ध कराएंगी। ग्राहक शिकायत निपटान मंच (सीजीआरएफ) में ग्राहक और प्रोज्यूमर प्रतिनिधि शामिल होंगे।

नियमों के तहत शिकायतों के समाधान को आसान बनाया गया है। इसके तहत बहु-स्तरीय व्यवस्था की गई है तथा ग्राहकों के प्रतिनिधियों की संख्या एक से बढ़ाकर चार की गई है। वितरण कंपनियां हर प्रकार की शिकायतों के विभिन्न स्तरों पर समाधान के लिए समय सीमा स्पष्ट करेंगी। किसी भी प्रकार की शिकायतों के समाधान के लिए अधिकतम समयसीमा 45 दिन तय की गई है। (इनपुट भाषा)

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